आकाश विजयवर्गीय मामले का असली सच, मात्र 3 बिंदुओं में जानिए क्या है वास्तविकता?

By Anshuman Anand  |  First Published Jun 29, 2019, 1:18 PM IST

इंदौर में एक पुरानी बिल्डिंग ढहाने गए नगर निगम अधिकारी को विधायक आकाश विजयवर्गीय ने बैट से पीटकर कानून अपने हाथों में ले लिया। इस इमारत में एक किराएदार परिवार रहता था। जिसकी महिलाओं की गुहार पर विधायक आकाश वहां पहुंचे और निगम अधिकारी को बिल्डिंग खाली कराने से रोकने के लिए बैट से उसकी पिटाई कर दी। इस दौरान विवादित इमारतों को खाली कराने के लिए ठेके पर रखे गए लोग सहित नगर निगम का पूरा अमला खड़े होकर तमाशा देखता रहा। आकाश विजयवर्गीय को बड़ी मुश्किल से अब जाकर जमानत मिली है। अब इस मामले में दखल देते हुए गृहमंत्री अमित शाह ने ‘सीक्वेंस ऑफ इवेंट रिपोर्ट’ यानी पूरे घटनाक्रम की सिलसिलेवार रिपोर्ट मंगाई है।   
 

भोपाल: मध्य प्रदेश में इंदौर के विधायक आकाश विजयवर्गीय इन दिनों मीडिया में छाए हुए हैं। जहां दिल्ली के एयरकंडीशन स्टूडियो में बैठकर एंकर खुद न्यायाधीश बनकर चीखते हुए आकाश विजयवर्गीय को कानून हाथ में लेने का दोषी ठहरा चुके हैं। वहीं इंदौर में आकाश विजयवर्गीय के समर्थन में पोस्टर लगाए जा रहे हैं। जिसे निगम अधिकारियों ने हटवा दिया।  

दरअसल पूरा मामला अब विधायक बनाम निगम अधिकारी हो गया है। जिसमें मीडिया लगातार आकाश के विरोध में खड़ा होकर उनका मीडिया ट्रायल कर रहा है। 

1.    पहले आपको बताते हैं कि आकाश विजयवर्गीय के मामले में मीडिया ने अब तक क्या माहौल तैयार किया है? 

इंदौर के गंजी कंपाउंड इलाके के इस विवाद पर दिल्ली की मीडिया का ध्यान तब गया, जब उनके पास आकाश विजयवर्गीय का वह वीडियो पहुंचा, जिसमें वह बल्ले से निगम अधिकारी धीरेन्द्र बायस को पीटते हुए नजर आए। 

इस वीडियो के पहले क्या हुआ था इसपर बिना किसी तरह का कोई संज्ञान लिए तुरंत दिल्ली के स्टूडियो में बैठे मीडियाकर्मी न्यायाधीश की भूमिका में आ गए। उन्होंने आकाश विजयवर्गीय को कानून अपने हाथ में लेने का दोषी करार देते हुए लगातार घंटों तक इस मुद्दे को गरम रखा।

दिल्ली की मीडिया ने यह भी बताया कि निगम अधिकारी एक जर्जर इमारत को गिराने पहुंचे थे, जिसमें रहना जानलेवा साबित हो सकता था। 
लेकिन सच यह है कि इमारत उतनी जर्जर नहीं थी कि जानलेवा साबित हो। निगम की यह कवायद दरअसल इस इलाके को जल्दी से जल्दी अतिक्रमणमुक्त करके उसे नए खरीदारों को सौंपने की थी। 

हमे यह बताया गया कि बिल्डिंग में रहने वाला एक परिवार उसे खाली करने को तैयार नहीं था। लेकिन वास्तव में वह लोग बरसात के मौसम के बाद वहां से जाने के लिए तैयार थे। 

ऐसा आभास दिलाने  की कोशिश की गई कि आकाश विजयवर्गीय वहां अपनी राजनीति चमकाने के लिए पहुंचे थे। लेकिन वास्तव में उन्हें बिल्डिंग में रह रहे किराएदारों ने फोन करके बुलाया था। क्योंकि उनके परिवार की महिलाओं से अभद्रता की जा रही थी। उन्हें खींचातानी करके बिल्डिंग से निकाला जा रहा था। ऐसा करने वाले निगम कर्मियों या पुलिस बल में कोई महिला नहीं थी।  

उधर भोपाल में इस दौरान कमलनाथ सरकार की कैबिनेट बैठक चल रही थी। यह मुद्दा वहां उठाया गया और राज्य के गृहमंत्री बाला बच्चन और कानून मंत्री पी.सी.शर्मा तुरंत सक्रिय हो गए।   

आकाश विजयवर्गीय को गिरफ्तार कर लिया गया और उन्हें जमानत देने से मना कर दिया गया।

इस दौरान मीडिया में एक और खबर उछाली गई कि आकाश ने जिस निगम अधिकारी धीरेन्द्र बायस की पिटाई की थी, वह आईसीयू में भर्ती हो गए हैं। बाद में पता चला कि उन्हें हाई ब्लड प्रेशर की वजह से भर्ती कराया गया है और वह भी एक निजी अस्पताल में। ना कि किसी तरह की चोट की वजह से। 

2.    अब आपको बताते हैं कि दरअसल गंजी कम्पाउंड में हुआ क्या था

गंजी कम्पाउंड इंदौर का वह इलाका है जहां कई पुरानी इमारतें हैं। शहर के विकास के दौरान यहां की जमीनें बेशकीमती हो गई हैं। जिसकी वजह से यहां की जमीनों की कीमत करोड़ों में पहुंच गई है। ऐसे में नए उभरे राजनेता और उनके रिश्तेदार अपने रुसूख का इस्तेमाल करके यह जमीनें खरीदकर बिल्डर बन रहे हैं। 

लेकिन इन इमारतों में सालों से रह रहे लोगों के पुनर्वास का कोई इंतजाम नहीं किया जा रहा है। 

यहां स्थित विवादित बिल्डिंग को गिराने का आदेश साल 2018 में ही दिया जा चुका था। जब प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की सरकार थी। लेकिन मानवीय आधार पर मामला टाला जाता रहा। 

बिल्डिंग की हालत इतनी जर्जर नहीं थी कि उसे जानलेवा की श्रेणी में रखा जाए। लेकिन जमीन ने नए खरीदार मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए निगम ने उसे जानलेवा बिल्डिंग घोषित करके खाली कराने की कोशिश में था। 

गिरफ्तारी से पहले आकाश विजयवर्गीय ने आरोप लगाया था कि ‘लोक निर्माण मंत्री सज्जन सिंह वर्मा के रिश्तेदार(करीबी) ने वो पुराना मकान खरीद लिया था। नगर निगम का अमला बारिश के मौसम में उसे गिराने पहुंचा था। ये कवायद पिछले साल भी की गई थी। परिवार ने बेघर होने के बचने के लिए मोहलत मांगी तो निगम के अफसर ने महिलाओं को पैर पकड़कर बाहर घसीटना शुरु कर दिया। बगैर महिला पुलिस बुलाए ये कार्रवाई आनन फानन में इसलिए की गई क्योंकि निगम के अमले ने मकान खाली करने की सुपारी ली थी’।

लेकिन इस मामले में समस्या यह है कि जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। उसमें आकाश विजयवर्गीय बैट से निगम अधिकारी बायस को पीटते नजर आ रहे हैं। सिर्फ इसी वीडियो के आधार पर आकाश को दोषी करार दिया जा रहा है।

 

खुद आकाश पर इतना दबाव है कि वह बैकफुट पर हैं। इस घटना के लंबे मीडिया ट्रायल के बाद जब आकाश से इस घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बयान दिया कि ‘मैं बहुत गुस्से में था। मैंने क्या कर दिया मुझे नहीं पता। निगम के अफसर ने एक महिला के साथ गाली-गलौज की और हाथ पकड़ा, जिससे मुझे गुस्सा आ गया।’ 

3.    मामले में कानूनी रुप से अब तक यह कार्रवाई हुई है

इस मामले में ताजा अपडेट यह है कि आकाश विजयवर्गीय को बड़ी मशक्कत के बाद भोपाल की स्पेशल कोर्ट से जमानत मिल गई है। इससे पहले इंदौर के अपर सत्र न्यायधीश ने क्षेत्रीय अधिकार से बाहर का मामला होने की दलील देते हुए उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। भोपाल की विशेष अदालत में ही मध्य प्रदेश के विधायकों और सांसदों से जुड़े मामलों की सुनावाई होती है। इसलिए कई दिन जेल में बिताने के बाद आकाश विजयवर्गीय को वहीं से जमानत मिली। 

उधर केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस मामले की सिलसिलेवार रिपोर्ट ‘सीक्वेंस ऑफ इवेंट रिपोर्ट’ तलब की है। यानी वह पूरे घटनाक्रम को समझने के बाद सही गलत का फैसला लेंगे। उसके बाद पार्टी अध्यक्ष के नाते वह इस मामले में बीजेपी का स्टैण्ड रखेंगे। 

हालांकि इंदौर के बीजेपी कार्यकर्ताओं  ने शहरभर में आकाश विजयवर्गीय के पोस्टर्स लगाए हैं, जिनमें 'सैल्यूट आकाश जी' लिखा हुआ है।
लेकिन निगम अधिकारी फिलहाल इस तरह के पोस्टरों को अपने इलाके से हटवा रहे हैं। 

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