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गंभीर लिवर चोट से केवल लिवर ही नहीं, बल्कि किडनी और फेफड़ों का फेलियर भी हो सकता है।
रिसर्च के मुताबिक, खराबी के कारण लिवर सेल्स में 'सेनेसेंस' नाम की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। यह प्रक्रिया किसी भी उम्र में बीमारी के कारण हो सकती है। जिससे आर्गन की क्षति होती है।
बुढ़ापे के साथ होने वाली प्रक्रिया को 'सेनेसेंस' कहा जाता है, इसमें सेल्स थकने की वजह से ठीक से काम नहीं करते हैं। हालांकि, यह प्रॉसेस किसी भी उम्र में हो सकती है।
यूके की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिनबर्ग ने चूहों और मानव लिवर टिश्यू पर शोध किया। लिवर डैमेज से यह प्रक्रिया किडनी और फेफड़ों तक फैलने का खतरा बढ़ाती है। मतलब मल्टी-ऑर्गन फेलियर का खतरा।
शोध में 'टीजीएफबी' प्रोटीन की पहचान हुई। यह प्रोटीन लिवर से किडनी और फेफड़ों में नुकसान फैलाता है। इस प्रोटीन को ब्लॉक करने से मल्टी-ऑर्गन फेलियर को रोका जा सकता है।
प्रोफेसर राजीव जलान ने बताया कि खून के बायोमार्कर्स से जोखिम वाले मरीजों की पहचान संभव हो सकती है।
लिवर फेलियर के प्रगति का अनुमान लगाने के लिए कोई टेस्ट उपलब्ध नहीं है। टीजीएफबी मार्ग को ब्लॉक करके अन्य अंगों की क्षति को कम किया जा सकता है।