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क्या आप जानते हैं कि घर के भोजन को प्रसाद के रूप में खाने से क्या फायदे होते हैं? प्रेमानंद महाराज ने इसके अद्भुत फायदों के बारे में बताया है। आइए जानते हैं।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि प्रसाद से बढ़कर स्वादिष्ट कोई वस्तु नहीं होती है। मंदिर में एक छोटा पेड़ा का टुकड़ा मिल जाए तो उसे ग्रहण कर दिल प्रसन्न हो जाता है।
वह कहते हैं कि गांव में सत्यनारायण कथा के समय पंजीरी बंटती थी। घर में 10 से 12 लीटर दूध है, सब व्यवस्था है। पर उस पंजीरी और चरणामृत का स्वाद अलग है।
उनका कहना है कि जब नारायण को भोग लगता है तो थोड़ी सी पंजीरी, चरणामृत या पंचामृत मिलता है, उसे ग्रहण कर ऐसा लगता है कि दोबारा लाइन में खड़े हो जाते।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि प्रसाद में एक अलौकिक स्वाद होता है। यदि हम अपने घर के भोजन को प्रसाद बना कर खाएं तो हमारे हृदय में उसकी आसक्ति नहीं रहेगी।
वह कहते हैं कि समस्त दुखों का नाश करने की सामर्थ्य भगवत प्रसाद में होती है। भगवान की प्रीति देने में भगवान का प्रसाद समर्थ है।
प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि चरणामृत रोज पीने से अकाल मृत्यु नहीं होगी और पुर्नजन्म जन्म नहीं होगा। इन्हीं के बल पर हम माया पर विजय प्राप्त करते हैं।