Utility News
एक छात्र ने प्रेमानंद महाराज से पूछा कि क्या हम वृंदावन और श्री जी का उत्सव आयोजन करने के लिए धनराशि मांग सकते हैं?
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि यह न हमारे जीवन में रहा है और न ही हम इसकी कभी किसी को अनुमति देंगे।
वह कहते हैं कि हमारे भगवान सुन, देख और कर रहे हैं। यदि उत्सव मनाने के लिए पैसा मांगने की आदत बना लेंगे तो धीरे-धीरे मांगने की आदत पुष्ट हो जाएगी।
उन्होंने कहा कि हम उत्सव करना चाहते हैं तो जिसको मन हो सहयोग कर दे। वरना ऐसा उत्सव क्या कि किसी के सामने गिड़गिड़ाना पड़े।
वह कहते हैं किसी के सामने हाथ फैलाओ उत्सव के लिए। तो अगला कहता है कि क्या उत्सव है? कोई कागज है तुम्हारे पास? तुम लोग फ्रॉड तो नहीं हो?
उनका कहना है कि हमारे भगवान को नहीं चाहिए वह चीज। जिसमें तुम्हें ऐसा करना पड़े। सीधा कनेक्शन भगवान से रखो। संसार के प्राणियों से नहीं।