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एक शख्स ने प्रेमानंद महाराज से सवाल पूछा कि किसी से प्रेम किया और उसने किसी और से प्रेम कर लिया। अब बदला लेने की भावना आ रही हैं।
प्रेमानंद महाराज ने कहा कि बदला बिल्कुल गलत मार्ग है। चुपचाप सह जाओ।
मैं जिस आफिस में हूं, वहीं वह भी है। उसी आफिस में जाना पड़ता है।
भगवान का शुक्रिया अदा करो कि आपने विवाह के पहले दिखा दिया। यदि विवाह हो जाता तो क्या करते।
उन्होंने कहा कि जीवन को आनंदमय बनाओ। परिस्थिति को काटकर आगे बढ़ो।
वह कहत हैं कि बहुत कृपा हो गई। यदि विवाह हो जाता तो क्या करते। उसी आफिस में जाने से कोई फर्क नहीं पड़ता। उसे दिखाओ की मैं अच्छा हूं। जीवन को आनंदमय बनाओ।
उन्होंने कहा कि बच्चे रोते हैं कि मेरी नहीं हुई तो किसी की नहीं होने देंगे। यह गलत भावना है। वह जेल भोगते हैं। अपने माता-पिता की जिंदगी बर्बाद करते हैं।
तुम सकारात्मक सोचो। उसके बारे में अच्छा सोचो। तुमने उसे प्यार किया। उसे आशीर्वाद दो। तुम्हारा मंगल हो। जो निगेटिव सोचता है। उसे निगेटिव फल मिलता है।