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टमाटर ही नहीं, ये सब्जियां भी हुईं 'लाल', जानें कौन किस भाव पर

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दोगुना से भी ज्यादा हुए टमाटर के रेट

सब्जियों का जायका बढ़ाने वाला टमाटर इस समय औकात से बाहर हो चला है। बीते 15 दिन के अंदर इसकी कीमत 40 रुपये KG से बढ़कर 80 रुपए पर KG हो गई है।

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इन सब्जियों के रेट मे भी हुई बेतहाशा वृद्धि

आलू 40 रुपए, प्याज  50 से 55 रुपए, तोरई 40 रुपए, लहसुन 400 रुपए, लौकी 40 रुपए,  बैगन 60 रुपए , बीन्स 200 रुपए और अदरक 160 रुपए प्रति किग्रा. बिक रही है।

 

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मौसम विभाग ने सब्जियों के रेट बढ़ने की बताई ये वजह

मौसम कार्यालय के अनुसार, ट्रांसपोर्ट संबंधी समस्याओं के अलावा, भारी बारिश से बागवानी और खड़ी फसलों को खतरा पैदा होता है, जिससे बाढ़ के कारण नुकसान हो सकता है। 

 

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हर सब्जी के रेट हुए डेढ से दोगुने

मार्केट में इस समय आलू से लेकर प्याज, करेला, मिर्च, बैगन सबके रेट बेतहाशा बढ़ रहे हैं। फूलगोभी, पत्तागोभी से लेकर भिंडी जैसी सब्जियां के दाम लगभग दोगुने हो चुके हैं।

 

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सिफ लौकी के घटे रेट

इनमें सिर्फ एक सब्जी है, जिसके रेट इस समय कम हुए हैं और वो है लौकी। पंद्रह दिन पहले 60 रुपए किग्रा बिकने वाली लौकी इस समय 40 रुपए की हो गई है।

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हिमाचल प्रदेश से सप्लाई हुई बाधित

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश के कारण रोड नेटवर्क क्षतिग्रस्त हो गया है। जिससे  कुछ रिटेल मार्केट्स में टमाटर समेत अन्य सब्जियों के रेट आसमान छूने लगे हैं।

 

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महीने भर पहले 35 रुपए किग्रा बिक रहा था टमाटर

मिनिस्ट्री ऑफ कंज्यूमर अफेयर्स के प्राइज मॉनिटरिंग डिवीजन के अनुसार टमाटर की डेली एवरेज रिटेल प्राइज 3 जुलाई को 55 रुपये प्रति किग्रा. तक पहुंच गई, जो एक महीने पहले 35 रुपये थी।

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पिछले साल 350 रुपए प्रति किग्रा. बिका था टमाटर

ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल भारी बारिश और बाढ़ के कारण ऐसी ही स्थिति पैदा हुई थी, जिससे कुछ रिटेल मार्केट्स में टमाटर के रेट 350 रुपये KG से अधिक तक पहुंच गए थे।

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अभी और बढ़ सकते हैं टमाटर के रेट

भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD ) ने 7 जुलाई तक हिमाचल प्रदेश के कई टमाटर प्रोडक्शन एरिया में भारी बारिश की भविष्यवाणी की है, जिससे रेट और बढ़ सकते हैं।

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बारिश में अमूमन बढ़ जाते हैं सब्जियों के रेट

इस मौसम में अमूमन सब्जियों की रेट बढ़ जाते हैं क्योंकि बारिश से कटाई- पैकेजिंग व सप्लाई पर असर पड़ता है। जिससे सब्जियों की बर्बादी बढ़ जाती है, जो रेट बढ़ने के प्रमुख कारण बनता है।

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