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ज्योतिरादित्य सिंधिया ग्वालियर के शाही ग्वालियर घराने से ताल्लुक रखते हैं। उनके दादा जीवाजी राव सिंधिया इस राजघराने के अंतिम राजा थे।
मध्य प्रदेश के शाही घराने से आने वाले ज्योतिरादित्य सिंधिया को वहां की जनता महाराज कहकर बुलाती है। वह केंद्र में नागरिक उड्डयन मंत्री हैं और सीएम पद की रेस में उनका नाम भी है।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया की 2001 में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई थी। वे मध्य प्रदेश की गुना सीट से सांसद थे।
ज्योतिरादित्य सिंधिया 2001 में कांगेस ज्वाइन कर राजनीति में आए थे। यहां उन्होंने गुना सीट से ही चुनाव लड़ा और सांसद चुने गए थे।
2020 में जब सिंधिया कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। इसके बाद से ही उनके सीएम बनने के कयास लगए जा रहे हैं।
चुनाव प्रचार के दौरान एमपी आए ज्यादातर वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के महल जरूर गए थे। ऐसे में सिंधिया के संबंध सभी वरिष्ठ नेताओं के साथ बेहतर हैं।
ज्योतिरादित्य सिंधिया के स्कूल के कार्यक्रम के आमंत्रण पर पीएम मोदी मध्य प्रदेश भी गए थे। कार्यक्रम के दौरान पीएम मोदी ने उन्हें गुजरात का दामाद भी बताया था।
सिंधिया देश के सबसे अमीर राजनेताओं में गिने जाते हैं। 2020 में उनकी संपत्ति 25,000 करोड़ रुपए के आसपास आंकी गई थी जो उन्हें विरासत में मिली है।