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दोनों ही वर्ल्ड वॉर में उतार चढ़ाव के बाद साल 1968 में कनाडियन आर्म्ड फोर्स बनी।
कनाडा के पास सिर्फ साढ़े 71 हजार सैनिक हैं। इनमें से भी सिर्फ 23 हजार ही फुल टाइम सोल्जर्स हैं।
भारत के पास लगभग 1.4 मिलियन सोल्जर्स हैं।
कनाडा में सेना में भर्ती के लिए लोग नहीं मिल रहे हैं। हालत ये है कि ट्रूडो सरकार गैर कनाडाई लोगों से भर्ती की अपील कर चुकी है।
कनाडा का सैन्य खर्च करीबन 36.7 बिलियन डॉलर है, जबकि भारत अपनी आर्मी पर 69 बिलियन डॉलर खर्चता है।
कनाडा के पास एटामिक पॉवर नहीं है। वह इसके लिए नाटो के भरोसे है, जबकि भारत के पास खुद के वेपन हैं।
ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स 2023 के मुताबिक, भारत सैन्य ताकत के मामले में दुनिया का चौथा देश है, जबकि कनाडा 20वें पायदान पर है।
कनाडा डिप्लोमेटिक ताकत के मामले में भी कमजोर है। अमेरिका, ब्रिटेन जैसे ताकतवर देशों के साथ की केमिस्ट्री अब बदल चुकी है, जो G20 में दिखी।
भारत ने खालिस्तान के मुद्दे पर कनाडा को घेरा तो बाकि देश चुप्पी साधे रहें। अप्रत्यक्ष तौर पर उन्होंने भारत का समर्थन किया।