क्या होती है ‘ठठरी’, बाबा बागेश्वर बार-बार क्यों बोलते हैं ये शब्द?
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क्या होती है ‘ठठरी’, बाबा बागेश्वर बार-बार क्यों बोलते हैं ये शब्द?

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बाबा बागेश्वर के प्रवचन में होता है इस शब्द का उपयोग

बाबा बागेश्वर यानी पंडित धीरेंद्र शास्त्री अक्सर अपने प्रवचनों में ठठरी शब्द का प्रयोग करते हैं। बहुत कम लोग इस शब्द का अर्थ जानते हैं, जबकि अधिकांश लोग इसके बारे में नहीं जानते। 
 

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बुंदेलखंडी शब्द है ठठरी

ठठरी बुंदेलखंड में बोला जाने वाला आम शब्द है। यहां लोग हंसी-मजाक में इस शब्द का खूब प्रयोग करते हैं। कुछ लोग इसे निगेटिव शब्द मानते हैं, जबकि ऐसा है नहीं।

 

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क्या है ठठरी शब्द का अर्थ?

कुछ लोग मानते हैं कि ठठरी का अर्थ है मरना। पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपने प्रवचन में ये बता चुके हैं कि ठठरी का अर्थ है अर्थी, जिस पर शव को रखकर अंतिम यात्रा पर ले जाया जाता है। 

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बाबा बार-बार क्यों बोलते हैं ये शब्द?

बागेश्वर बाबा बार-बार अपने प्रवचनों में ‘ठठरी के बरे’ बोलते नजर आते हैं। ये शब्द आमतौर पर कटाक्ष के रूप में बोला जाता है। बाबा इसी रूप में इस शब्द का उपयोग करते हैं।

 

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निगेटिव शब्द नहीं है ठठरी

बाबा बागेश्वर अपने प्रवचनों में ये भी स्पष्ट कर चुके हैं कि ‘मां भी कई बार गुस्से में ठठरी बार देती, शब्द का उपयोग करती हैं, तो इसका मतलब ये नहीं कि वो अपने बेटे को मारना चाहती है।

 

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ठठरी के और भी अर्थ

अर्थी के अलावा ठठरी के कुछ और अर्थ भी हैं जैसे- किसी मनुष्य या पशु के शरीर की सारी हड्डियों का ढाँचा और छप्पर छाने के लिए बनाया जाने वाला बाँस का ढाँचा। 
 

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