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चुनावों के समय उम्मीदवारों और राजनीतिक दलों को आदर्श आचार संहिता के नियमों का पालन करना जरूरी होता है। इन नियमों के उल्लंघन पर कार्रवाई और सजा का सामना करना पड़ सकता है।
चुनाव प्रक्रिया को पारदर्शी और निष्पक्ष बनाए रखने के लिए आचार संहिता लागू की जाती है।
चुनाव के दरम्यान भड़काऊ भाषण, जाति या धर्म के नाम पर वोट मांगना, और सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग करने पर कार्रवाई का प्रावधान है।
आचार संहिता तोड़ने पर चुनाव आयोग मामले की गंभीरता के आधार पर सजा तय करता है।
अगर कोई उम्मीदवार भड़काऊ बयान देता है या नियमों का उल्लंघन करता है, तो उसके चुनाव प्रचार पर रोक लगाई जा सकती है। यह प्रतिबंध कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक हो सकता है।
पहली बार उल्लंघन पर आयोग चेतावनी या नोटिस देकर सुधार का अवसर देता है।
आचार संहिता उल्लंघन की शिकायत चुनाव आयोग की हेल्पलाइन 1095 पर की जा सकती है। आयोग का दावा है कि 100 मिनट के भीतर कार्रवाई की जाती है।