भारत में मजदूराें के हितों की रक्षा के लिए 6 महत्वपूर्ण कानूनी प्रावधान (Legal Provisions) हैं। इनकी क्या और कैसे जरूरत है, आईये जानते हैं...
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1. The Trade Unions Act, 1926
आर्टिकल 19(1) (c) सभी को "संघ या यूनियन बनाने का अधिकार देता है"। ट्रेड यूनियन अधिनियम 1926 को 2001 में संशोधित किया गया था। यह मजदूरों के अधिकारों की रक्षा का मजबूत माध्यम है।
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2. The Payment of Wages Act 1936
मजदूरी भुगतान एक्ट 1936 श्रमिकों को समय पर और किसी भी अनथराईज्ड डिडक्शन के बिना वेतन मिलने का अधिकार देता है। वेज एक्ट 1936 की धारा 6 में कहा गया है कि मजदूरी कैश में दी जाएं।
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3. Industrial Disputes Act 1947
औद्योगिक विवाद एक्ट 1947 में स्थायी कर्मचारियों की बर्खास्तगी के प्रोविजन हैं। जिसमें बताया गया है कि बना स्पष्ट कारण बताए किसी कर्मचारी को नौकरी से नहीं निकाला जा सकता है।
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4. Minimum Wages Act,1948
न्यूनतम मजदूरी एक्ट 1948 विभिन्न आर्थिक क्षेत्रों के श्रमिकों को न्यूनतम वेतन सुनिश्चित करता है। राज्य और केंद्र सरकारों को काम व स्थान के अनुसार मजदूरी तय करने का अधिकार है।
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5. Maternity Benefits Act, 1961
मातृत्व लाभ एक्ट, 1961 के तहत प्रेग्नेंट महिला कर्मचारियों के लिए maternity leave प्रदान करता है। महिला श्रमिक मातृत्व अवकाश के अधिकतम 12 सप्ताह (84 दिन) की हकदार हैं।
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6. Sexual Harassment of Women employees at Workplace Act, 2013
कार्यस्थल पर महिला कर्मचारियों का यौन उत्पीड़न एक्ट, 2013 कार्यस्थल पर महिला श्रमिकों के किसी भी प्रकार के यौन उत्पीड़न पर प्रतिबंध लगाता है। यह एक्ट 9 दिसंबर 2013 से लागू है।