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Mahakumbh 2025: 8 कारण जो इसे खास बनाते हैं, जानिए सब कुछ

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महाकुंभ 2025 की शुरुआत

13 जनवरी से 26 फरवरी तक प्रयागराज में हो रहा है दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन।

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144 साल में एक बार

यह महाकुंभ का पर्व 144 साल में एक बार बार आता है। एक पूरी पीढ़ी के लिए खास मौका।

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अर्थव्यवस्था को बढ़ावा

महाकुंभ से अनुमानित ₹2 लाख करोड़ का व्यापार। उत्तर प्रदेश की जीडीपी में 1% से अधिक की वृद्धि का अनुमान।

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क्या हैं धार्मिक मान्यताएं?

समुद्र मंथन से निकले अमृत कलश की बूंदें जहां-जहां गिरीं, वहां कुंभ का आयोजन होता है। प्रयागराज उनमें से एक पवित्र स्थल है।

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प्रयागराज में पवित्र नदियों का संगम

मान्यताओं के मुताबिक, गंगा, यमुना, और सरस्वती के संगम पर स्नान करने से पापों से मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

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नागा साधुओं की अनोखी परंपरा

कुंभ मेले में शाही स्नान के दौरान नागा साधु आकर्षण का केंद्र बनते हैं। उनकी आध्यात्मिक जीवनशैली सभी को आकर्षित करती है।

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UNESCO द्वारा मान्यता

2017 में यूनेस्को ने महाकुंभ को "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" के रूप में मान्यता दी। कुंभ मेला अब विश्व धरोहर का हिस्सा है।

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कुंभ का इतिहास

850 साल पुराना आयोजन। पहला लिखित प्रमाण चीनी यात्री ह्वेनसांग के विवरणों में मिलता है।

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दुनियाभर के श्रद्धालुओं की भागीदारी

भारत के साथ-साथ कई विदेशी भक्त भी महाकुंभ में शामिल होते हैं। यह आयोजन विश्व आस्था का प्रतीक बन चुका है।

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