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महाकुंभ मेला नहीं, बल्कि एक महापर्व है। यह मानवता की अमूल्य सांस्कृतिक धरोहर है। श्रद्धालुओं के लिए आध्यात्मिक मिलन और सत्संग का अवसर।
प्रयाग पुत्र के नाम से फेमस राकेश कुमार शुक्ला ने महाकुंभ पर लिखी कॉफी टेबल बुक में इसके महात्म्य का उल्लेख किया है। उन्होंने कहा, "महाकुंभ पतित को पावन बनाने का पर्व है।"
वह कहते हैं कि महाकुंभ पतित को पावन बनाने का पर्व है। यहां लोगों को डिजिटल डिटॉक्स होने का लाभ भी मिलता है।
उनके अनुसार कल्पवास का मकसद रील के बजाए रियल लाइफ जीना है। "यह पर्व जीवन को सरल और शुद्ध बनाने का मार्ग दिखाता है।"
वह कहते हैं कि कुंभ पर्व को मेला न बनाएं। इसे चार हिस्सों में बांट सकते हैं। पहला हिस्सा स्प्रिचुअल परिकल्पना, दूसरा मैनेजमेंट, तीसरा इकोनॉमी और चौथा हिस्सा ग्लोबल पार्टनरशिप है।
राकेश कुमार शुक्ला मेला विशेषज्ञ हैं। साल 2019 कुम्भ में केंद्र सरकार के विशेष सलाहकार भी रह चुके हैं।