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Mahakumbh 2025: क्यों 12 साल में एक बार होता है यह महापर्व?

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समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से महाकुंभ का संबंध

महाकुंभ का संबंध समुद्र मंथन की पौराणिक कथा से है। इस कथा के अनुसार, देवताओं और असुरों ने समुद्र मंथन किया, जिसमें कई रत्न और अमृत का कलश निकला।
 

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अमृत कलश को लेकर देवता और असुरों में संग्राम

अमृत को लेकर देवताओं और असुरों में संघर्ष छिड़ गया। इसे असुरों से बचाने के लिए भगवान विष्णु ने अमृत कलश अपने वाहन गरुड़ को सौंप दिया।
 

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इसलिए होता है इन चार स्थानों पर महाकुंभ

गरुड़ अमृत बचाने के लिए उड़ते रहे। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें धरती पर 4 स्थानों-प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन, और नासिक-पर गिरीं। इन जगहों पर ही हर 12 साल में एक बार कुंभ होता है।
 

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हर 12 साल में ही क्यों?

कुंभ मेला हर 12 साल में आयोजित होने का कारण पौराणिक और ज्योतिषीय दोनों है। शास्त्रों के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत के लिए 12 दिव्य दिनों तक देवताओं और असुरों में युद्ध चला। 

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12 दिव्य दिन धरती के 12 वर्षों के बराबर

ये 12 दिव्य दिन पृथ्वी के 12 वर्षों के बराबर माने गए। इसके अलावा, ग्रहों की स्थिति, विशेषकर बृहस्पति (गुरु), के आधार पर कुंभ मेले की तिथियां तय होती हैं।

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प्रयागराज में कुंभ कब पड़ता है?

कुंभ मेले का आयोजन ग्रहों और राशियों की विशेष स्थिति पर बेस्ड है। जब बृहस्पति (गुरु) वृषभ (Taurus) में और सूर्य मकर (Capricorn) राशि में होते हैं। तब प्रयागराज में कुंभ।
 

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हरिद्वार में कुंभ कब पड़ता है?

जब बृहस्पति कुंभ (Aquarius) में और सूर्य मेष (Aries) राशि में होते हैं।

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नासिक में कुंभ कब?

जब बृहस्पति और सूर्य सिंह (Leo) राशि में होते हैं।

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उज्जैन में कुंभ कब?

जब बृहस्पति सिंह (Leo) में और सूर्य मेष (Aries) में होते हैं।

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