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नोएडा, यूपी का सबसे समृद्ध जिला, प्रजनन दर (TFR) के मामले में सबसे पीछे है। यहां की प्रजनन दर सिर्फ 1.6 है, जो देश के औसत 2.1 से काफी कम है।
विशेषज्ञों का मानना है कि नोएडा और गाजियाबाद जैसे शहरों में महंगी जीवनशैली, तनाव, और करियर को प्राथमिकता देने के चलते प्रजनन दर में गिरावट आई है।
गाजियाबाद जिले की प्रजनन दर भी 2 से नीचे चली गई है। कुल 9 जिलों में प्रजनन दर 2 से कम दर्ज की गई है, जो सरकार के लिए चिंता का विषय है।
गौतम बुद्ध नगर- 1.6, लखनऊ- 1.6, झांसी- 1.6, कानपुर- 1.7, आंबेडकर नगर- 1.7, वाराणसी- 1.8, जालौन- 1.8, गाजियाबाद- 1.9, बलिया- 1.9।
विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि अगर यह गिरावट बनी रही, तो भविष्य में यहां बुजुर्गों की आबादी बढ़ सकती है। जैसे अब चीन में प्रजनन दर को बढ़ावा देने के प्रयास किए जा रहे हैं।
उत्तर प्रदेश सरकार ने इन जिलों की गिरती प्रजनन दर पर रिसर्च करने का फैसला लिया है ताकि इसके पीछे के कारणों को समझा जा सके।
मनोचिकित्सकों का मानना है कि शहरी जीवन में तनाव, अनिद्रा और करियर के चलते लोगों में संतानोत्पत्ति की इच्छा कम हो रही है। शादी में देरी भी इसका प्रमुख कारण है।
शिक्षा का प्रसार प्रजनन दर को नियंत्रित कर रहा है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि अचानक गिरावट लंबे समय में समस्याएं पैदा कर सकती है।
विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर ये दर और गिरी तो आने वाले समय में बुजुर्ग आबादी का बोझ बढ़ जाएगा, जो भविष्य में सामाजिक और आर्थिक चुनौतियां पैदा कर सकता है।