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प्रेमानंद महाराज ने अपने सत्संग में बच्चों की परवरिश का महत्व बताया है। उन्होंने कहा कि माता—पिता को अपने बच्चों को इतना प्यार देना चाहिए कि वे उन्हें हर समस्या का समाधान समझें।
वह कहते हैं कि बच्चों को इस तरह का माहौल मिलना चाहिए। जहां वे किसी भी परेशानी में सीधे अपने माता-पिता के पास जा सकें।
उन्होंने कहा कि इससे बच्चों को पैरेंट्स के सपोर्ट का एहसास होगा और वह खुद को सुरक्षित महसूस करेंगे।
बच्चों के साथ समय बिताना, जैसे कि कहानी सुनाना या खेल खेलना, उन्हें यह महसूस कराता है कि आप उनके जीवन में कितने महत्वपूर्ण हैं।
वह कहते हैं कि रोज रात को सोने से पहले उनके साथ समय बिताकर और गले लगाकर आप अपना प्यार व्यक्त कर सकते हैं।
प्रेमानंद जी कहते हैं कि गले लगाना, पीठ थपथपाना या हाथ पकड़ना बच्चों को सुरक्षा और प्यार का अनुभव कराता है। उनका आत्म-सम्मान बढ़ाता है। मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।
जब बच्चे अच्छा काम करते हैं, तो उनकी प्रशंसा करें। इससे उनके आत्मविश्वास को बढ़ावा मिलता है। इससे वह और बेहतर बनने के लिए प्रेरित होते हैं।
वह कहते हैं कि बच्चों की समस्याओं-भावनाओं को ध्यान से सुनना-समझना उनके साथ संबंध मजबूत करता है।