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नई शराब नीति घोटाले में दिल्ली के CM अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट ने 01 जून 2024 तक के लिए अंतरिम जमानत दे दी है। जिसके बाद लोगों को बेल के बारे में जानने की इच्छा बढ़ गई है।
यूं तो हम जेल से बाहर आने को ही जमानत कहते और जानते हैं, लेकिन भारत के कानूनी विधान में जमानत 4 प्रकार की होती है, जो अलग-अलग परिस्थितियों में दी जाती हैं। आईए जानते हैं।
अग्रिम जमानत खास तौर पर यह उनको दी जाती है जिन्हें ऐसी आशंका होती है कि उन्हें पुलिस गिरफ्तार कर सकती है।ऐसी स्थिति में कोई भी अग्रिम जमानत हेतु कोर्ट में एप्लाई कर सकता है।
नियमित बेल या अग्रिम जमानत देने से पहले अंतरिम जमानत की पेशकश की जाती है। यह अस्थायी अवधि के लिए होती है।इस बेल पर न्यायालय आरोपी को बहुत ही कम समय के लिए रिहा करता है।
यदि किसी भी व्यक्ति को किसी भी आरोप में पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया जाता है तो वह नियमित जमानत के लिए कोर्ट में एप्लीकेशन दे सकता है। CRPC की धारा 437 के तहत उसे बेल मिल सकती है।
यदि कोई व्यक्ति गिरफ्तार होकर थाने आता है तो न्यायालय के अतिरिक्त थाने की पुलिस के पास भी जमानत देने का अधिकार होता है, जो सामान्य क्राइम में चार्जशीट दाखिल होने तक दी जा सकती है।
नॉन वैलेबल क्राइम में अगर कोई केस मजिस्ट्रेट के पास जाता है और उन्हें लगता है कि मामला गंभीर है और बड़ी सजा हो सकती है तो वे जमानत नहीं देते।