हेल्थ डेस्क। कोविड  के बाद से साइलेंट हार्ट अटैक (Silent Heart Attack) के मामले तेजी से बढ़े  हैं। नाचते, गाते, बात करते, पिक्चर देखते लोग बैठे-बैठे हार्ट अटैक का शिकार होते हैं और अपनी जिंदगी से हाथ धो बैठ रहे  हैं। आमतौर पर हार्ट अटैक (Heart Attack) पहले 60 साल के ऊपर के लोगों को हुआ करता था लेकिन कोविड (Covid)  के बाद यह हर उम्र के लोगों को होने लगा है। इसलिए कहीं ना कहीं दिमाग में यह बात आती है कहीं  कोरोना का हार्ट अटैक से कोई कनेक्शन तो नहीं है।
महामारी के बाद लोगों में एक वहम  फैलता जा रहा है कि कोविड वैक्सीन (Covid Vaccine)  से हार्ट अटैक बढ़ रहे हैं।  हालांकि इस पर आईसीएमआर ने मार्च में जानकारी दिया था जिसमें केंद्रीय हेल्थ मिनिस्टर मनसुख मांडवीया ने सिरे  उन सभी रिपोर्ट्स को खारिज कर दिया था जिसने वैक्सीनेशन के कारण हार्ट अटैक के खतरे को लेकर शक किया जा रहा था। उन्होंने कहा था कि आईसीएमआर ने  इस पर रिसर्च किया है और यह पाया की वैक्सीन का हार्ट अटैक से कोई संबंध नहीं है।

क्या कहते हैं डॉक्टर
लखनऊ के डॉक्टर अरशद सिद्दीकी (मेडिकल ऑफिसर आयुष) कहते हैं पहले भी हार्ट अटैक बहुत होते थे लेकिन कम्युनिकेशन के स्रोत कम थे इसलिए पता नहीं चलता था,  अब हर हाथ में मोबाइल है। इसलिए डाटा पता चलता रहता है। बच्चों में हार्ट अटैक को लेकर डॉ अरशद कहते हैं,  बच्चे इस वक्त सबसे ज्यादा प्रेशर में है। पढ़ाई का प्रेशर है कंपटीशन कितना ज्यादा है कि बच्चा जब उस कंपटीशन में पिछड़ जाता है तो वह इतना लोड लेता है अपने  दिल दिमाग पर की दिल का मरीज हो जाता है। यही हाल युवाओं की है। इसमें कोई शक नहीं है कि कोविड के बाद रोजगार पर असर पड़ा है। हर आदमी तनाव में है। पहले लोग जॉइंट  फैमिली में रहते थे।  अपने गम अपने परिवार से बांटते  थे, लेकिन अब बच्चे बड़ों के साथ बैठने के बजाय मोबाइल के साथ समय बिताते हैं। बाकी लाइफस्टाइल का भी बहुत असर पड़ता है। शरीर को एक्सरसाइज की जरूरत होती है वह हमें करते रहना है और इस भ्रम से बाहर आना है की वैक्सीन से हार्ट अटैक के केसेस बढ़ रहे हैं।



हार्ट डिसीज़ के लिए ज़रूरी हैं निम्नलिखित  जांचे (Heart attack - Diagnosis & treatment)
डॉ अरशद का कहना है की परिवार में किसी के भी सीने में दर्द हो ,  हाथ में भारीपन हो, सांस फूलने की दिक्कत हो तो फौरन डॉक्टर से संपर्क करें। कुछ जांच  जैसे कि ईसीजी (ECG Test), ईसीजी में दिल की धड़कन रेगुलर है या नहीं इसका पता चल जाता है। इसके अलावा  ट्रोपोनिन टेस्ट ( Cardiac Troponin Test)  जिसमें यह पता चलता है की मसल्स में कोई इंजरी तो नहीं हुई है। तीसरा टेस्ट है  इको कार्डियोग्राफी (Eco Cardiography)  जिसकी जांच में पता चलता है की दिल की मसल्स में कितनी ताकत है पहले कभी हार्ट अटैक अगर हुआ है तो वह भी पता चल जाता है।




हार्ट अटैक से बचने के लिए दुरुस्त करें लाइफस्टाइल (Strategies to prevent heart disease)
डॉ अरशद कहते हैं हार्ट अटैक से बचने के लिए अपने आप को थोड़ा समय देने की जरूरत है जिस तरह आप खाना खाने के लिए, नहाने के लिए, नौकरी के लिए वक्त निकालते हैं, उसी तरह अपने शरीर के लिए  एक घंटा जरूर निकाले। हर रोज 40 मिनट की वॉक जरूर करें, घर का बना खाना खाएं, फास्ट फूड खासकर चाइनीज़ और फैटी फ़ूड से दूर रहे। स्मोकिंग करते हैं तो छोड़ दें। हर 6 महीने पर होल बॉडी चैकअप कारण इसके अलावा ब्लड प्रेशर शुगर और कोलेस्ट्रॉल की रेगुलर जांच कराते रहे।

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