कांग्रेस नेता हार्दिक पटेल आगामी लोकसभा का चुनाव नही लड़ पाएंगे। पटेल की याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई नहीं हुई। गुजरात में चार अप्रैल नामांकन करने की आखिरी तारीख है। सुप्रीम कोर्ट से फैसला नहीं आने के कारण हार्दिक पटेल नॉमिनेशन दाखिल नहीं कर सकते। 2015 में गुजरात के मेहसाणा में दंगा भड़काने के मामले में अपनी सजा को निलंबित करने के लिए हार्दिक पटेल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। इससे पहले गुजरात हाई कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित करने की याचिका को रद्द कर दिया था। 

दो अप्रैल को हुई पिछली सुनवाई के दौरान हार्दिक पटेल की ओर से पेश कांग्रेस नेता व वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से तुरंत याचिका पर सुनवाई की मांग की थी। लेकिन कोर्ट ने सिब्बल की इस मांग को ठुकड़ा दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मैटर कब सुनवाई के लिए आए यह तय करना उनका काम नहीं है। यह रजिस्ट्री का काम है और वहीं तय करेगी कि याचिका को कब लिस्ट किया जाए। 

हार्दिक पटेल को मेहसाणा के विसनगर में दंगा भड़काने के एक मामले में 2 साल की सजा सुनाई गई है। हालांकि कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी थी। हार्दिक पटेल ने गुजरात हाइकोर्ट में अपनी सजा पर रोक लगाने के लिए याचिका दायर की थी, ताकि आगामी लोकसभा चुनाव लड़ सके। लेकिन कोर्ट ने याचिका को खारिज करते हुए सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। हाल ही में कांग्रेस में शामिल होने वाले पाटीदार नेता गुजरात के जामनगर से चुनाव लड़ने वाले थे। 

हार्दिक पटेल को भाजपा विधायक ऋषिकेश पटेल के कार्यालय में तोड़फोड़ करने के मामले में विसनगर कोर्ट ने दोषी ठहराते हुए 2 साल की जेल की सजा सुनाई है। कोर्ट ने 17 आरोपियों में से 3 लोगों को दोषी ठहराया है, वही 14 लोगों को सबूतों के आभाव में बरी कर दिया है। 2015 के इस दंगा केस में हार्दिक पटेल के अलावा लालजी पटेल को भी दोषी करार दिया गया है। जनप्रतिनिधि कानून 1951 के मुताबिक दागी नेताओं के चुनाव लड़ने को लेकर कानून पहले से मौजूद है। जिसमें सजा के बाद 6 साल तक उनके चुनाव लड़ने पर रोक का प्रावधान है। इसी कानून के चलते चारा घोटाले में दोषी और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव पर चुनाव लड़ने से रोक लगाई गई है।