भोपाल। मध्यप्रदेश कमलनाथ सरकार अब कांग्रेस शासित राजस्थान सरकार की राह पर चल दी है। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार की तर्ज पर ही राज्य सरकार ने स्कूली पाठ्यक्रमों से पंडित दीनदयाल और शंकराचार्य के अध्याय हटाने का फैसला किया है। राज्य सरकार के इस फैसले का विरोध विपक्षी दल भाजपा ने करना शुरू कर दिया है।

असल में जब से राज्य में कांग्रेस की सरकार आई है, तब से वह पूर्व की भाजपा सरकार के कई फैसले बदल चुकी है। यहां तक राज्य में वंदे मातरम की अनिवार्यता को भी खत्म कर दिया है। लिहाजा अब कमलनाथ सरकार ने राज्य के सरकारी स्कूलों में चल रहे पाठ्यक्रमों से दीनदयाल उपाध्याय और जगदगुरू आदि शंकराचार्य के अध्याय हटाने का फैसला किया है।

विधानसभा में विपक्षी दल भाजपा ने कमलनाथ सरकार पर आरोप लगाया कि उसने पंडित दीनदयाल उपाध्याय और आदि शंकराचार्य के अध्याय का हटाने का आदेश दिया है। भाजपा के विधायक सारंग नेताओं ने कहा कि प्रदेश सरकार ने भाजपा के विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय और सनातन धर्म के आदिगुरु शंकराचार्य के अध्याय को स्कूली पाठ्यक्रमों से हटाने का फैसला किया है।

क्योंकि कमलनाथ सरकार अपनी राजनीति चमकारने औऱ मुस्लिमों को खुश करने के लिए इस तरह के फैसले ले रही है। भाजपा का कहना है कि पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने एकात्म मानव दर्शन का सिद्धांत दिया था जबकि आदिगुरु शंकराचार्य ने देश भर में यात्रा कर देश की एकता के लिये काम किया।

गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार भी सरकारी स्कूलों के पाठ्यक्रमों से वीर सारवर और महाराणा प्रताप के अध्यायों को हटा चुकी है। वीरसारवर का नाम क्रांतिकारी के रुप में हटाया गया है जबकि महाराणा प्रतापा के साथ ही अकबर को महान पढ़ाया जा रहा है। जबकि राजस्थान की पूर्व की भाजपा सरकार ने महाराणा प्रताप को महान बताया था।