बेंगलुरू। राजधानी बेंगलुरू में हुए दंगों में कर्नाटक के क्षेत्रीय संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) की भूमिका सामने आने के बाद कर्नाटक सरकार जल्द ही एसडीपीआई को प्रतिबंधित कर सकती है। इसके लिए राज्य सरकार ने तैयारी कर ली है और इस दंगों में शामिल इस उग्रपंथी संगठन के कुछ प्रतिनिधियों और सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। इन लोगों ने बेंगलुरू में हुए दंगों में आगजनी और तोड़फोड़ की और दो पुलिस स्टेशन को निशाना बनाया था।

कर्नाटक के क्षेत्रीय संगठन सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (एसडीपीआई) और उसके राजनीतिक सहयोगी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) की बेंगलुरू के दंगों में उनकी कथित भूमिका सामने आई है और कर्नाटक जल्द ही इन दोनों संगठनों को राज्य में प्रतिबंधित करेगी। इससे पहले दिल्ली में हुए दंगों में इन दोनों संगठनों की भूमिका सामने आई थी और केन्द्रीय एजेंसियों इन दोनों संगठनों को लेकर बड़े खुलासे किए थे।  वहीं उत्तर प्रदेश में सीसीए को लेकर हुए उपद्रवों में भी इन संगठनों की बड़ी भूमिका सामने आई थी।

फिलहाल राज्य सरकार 20 अगस्त को होने वाली कैबिनेट की बैठक में एसडीपीआई और पीएफआई पर प्रतिबंध लगाने पर फैसला करेगी। राज्य सरकार ने उपद्रव करने के लिए उकसाने के लिए एसडीपीआई के कुछ प्रतिनिधियों और सदस्यों को गिरफ्तार किया है। जिसके कारण इलाके में आगजनी और तोड़फोड़ हुई थी और बाद में पुलिस ने गोलीबारी की गई थी। हालांकि इस हिंसा में तीन युवक मारे गए।

राज्य के राजस्व मंत्री आर.अशोक ने पिछले दिनों कहा था कि शहर के दंगों में शामिल इन राजनीतिक संगठनों पर प्रतिबंध लगाया जाएगा। शहर में दंगों में गिरफ्तार किए गए एसडीपीआई और पीएफआई सदस्यों की प्रारंभिक जांच और पूछताछ ने दंगों में उनकी कथित संलिप्तता का खुलासा किया है। अभी तक राज्य में इन दंगों के सिलसिले में 206 अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है और इसमें शहर के पूर्वी उपनगर में नागवारा नागरिक वार्ड से कांग्रेस पार्षद इरशाद बेगम के पति कलीम पाशा शामिल है।