इस प्रोजेक्ट के पूरा होने के बाद लोग गंगा के किनारे बनी 50 फुट चौड़ी सड़क से भगवान विश्वनाथ के मंदिर तक जा पाएंगे। इसके अलावा यहां बेहतर स्ट्रीट लाइट्स, साफ़-सुथरी सड़कें, पीने के पानी का इंतजाम किया जा रहा है। 

यह कॉरिडोर काशी विश्वनाथ मंदिर, मणिकर्णिका घाट और ललिता घाट के बीच 25,000 स्क्वेयर वर्ग मीटर में बन रहा है। इसके तहत फूड स्ट्रीट, रिवर फ्रंट समेत बनारस की तंग सड़कों के चौड़ीकरण का काम भी चल रहा है।

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इसके अलावा काशी के प्राचीन मंदिरों को भी संरक्षित किया जा रहा है। यहां घनी आबादी वाला इलाका हुआ करता था। जहां भवनों का अधिग्रहण करके उन्हें हटाया जा रहा है। 

कॉरिडोर की क्षेत्र में आने वाले मंदिरों, सड़कों समेत कई इमारतों को संवारा जा रहा है। इसके अलावा दो पुराने पुस्तकालयों को भी संवारा जा रहा है।  इन्हें डिजिटल लाइब्रेरी में तब्दील किया जा रहा है, जिस पर कुल 24 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। 

काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के विकास का काम 1780, 1853 के बाद अब जाकर हो रहा है। 1780 में इस इलाके का जीर्णोद्धार महारानी अहिल्या बाई होल्कर ने किया था। उनके बाद महाराजा रणजीत सिंह ने 1853 में मंदिर के शिखर सहित अन्य स्थानों पर सोना लगवाया था।  

अब प्रधानमंत्री मोदी इस क्षेत्र को विकसित करवा रहे हैं।