देश के दिल दिल्ली से पूरा देश चलाया जाता है। उस दिल्ली की हवा में जहर घुलता जा रहा है। हर बार आस पास के राज्यों से पराली जलाने से निकला धुआं आकर यहां की आबोहवा में खतरनाक स्तर का प्रदूषण घोल देता है। हर साल फसलों की कटाई खत्म होते ही दिल्ली धुंए का भंडार बन जाता है| पंजाब और हरियाणा के किसान कटाई के बाद खेतो में बची पराली को जलाते हैं जिससे हवा में काफी मात्रा में प्रदूषण फैलता है| 

पराली के धुंए ने फिर से दिल्ली-एनसीआर में दस्तक दी है जिसके चलते प्रदूषण के स्तर में और बढ़ोतरी की संभावना है| मौसम विभाग से जुड़ी सरकारी एजेंसी सफर इंडिया ने इस बारे में अलर्ट जारी किया है और अगले कुछ और दिनों का प्रदूषण का स्तर बढ़ने की आशंका जताई है| 

पंजाब-हरियाणा के किसान गेंहू की कटाई के बाद फसल के बचे डंठल को जलाते हैं किसानों के लिए यह खेतों को साफ़ करने का ये सबसे आसान तरीका होता है। इसीलिए खेतों को खाली करने की जल्दी में किसान ये रास्ता अपनाते हैं |

पर्यावरण मंत्रालय को पिछले काफी दिनों से पराली को जलाने की खबरें मिल रही हैं और मंत्रालय ने राज्य सरकारों से सतर्क रहकर इन मामलो में सख्ती करने को कहा है लेकिन फिर भी इन घटनाओ में कोई कमी नहीं आई वायु प्रदूषण पर नजर रखने वाली संस्था के मुताबिक वायु प्रदूषण में बढ़ोतरी का यह सिलसिला शुक्रवार से शुरू हुआ है।

इस प्रदूषण में सबसे खतरनाक स्तर है पीएम 10 और पीएम 2.5 और शुक्रवार को ही पीएम 10 का स्तर अचानक बढ़कर 321 के स्तर पर पहुंच गया और वहीं गुरुवार को ये 80 के ही करीब था| रिपोर्ट  के मुताबिक ये स्तर शनिवार को 353 तक पहुँच सकता है जिसमें हवा की गुणवत्ता बेहद खराब मानी जाती है।
वहीं पीएम 2.5 भी लगातार बढ़ता जा रहा है जिसका स्तर शुक्रवार को 103 था और शनिवार को 113 तक पहुँचने की सम्भावना है |

सरकार पराली जलाने पर रोक लगाने का भरसक प्रयास कर रही है जिसके चलते पिछले दो सालों में सरकार ने  करीब 12 सौ करोड़ खर्च किये हैं । इसके लिए पंजाब,हरियाणा और उत्तर प्रदेश को अच्छी मदद दी गई है। जिससे किसानों को पराली को खेतों में नष्ट करने के लिए मशीनें भी उपलब्ध कराई जा रही है। लेकिन इसका बहुत ज्यादा असर फिलहाल तो नहीं दिख रहा है।