नर्मदा नदी के किनारे बनी दुनिया की सबसे बड़ी मूर्ति स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अंतरिक्ष से भी साफ दिखाई देती है। 3000 करोड़ रुपये में बनकर तैयार हुआ यहा 182 मीटर ऊंचा 'अजबूा' लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। 

कॉमर्शियल सेटेलाइट नेटवर्क प्लेनेट ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी की तिरछी सेटेलाइट तस्वीर ट्वीट की है। 15 नवंबर को खींची गई इस तस्वीर में नर्मदा के किनारे बनी यह प्रतिमा बेहतरीन नजर आ रही है। 

स्टैच्यू ऑफ यूनिटी दुनिया में मानव निर्मित उन 'अजूबों' में शामिल हो गई है जो धरती के ऊपर से साफ-साथ दिखाई देते हैं। इनमें चीन की ऐतिहासिक दीवार, दुबई के तट पर बना पाम आइलैंड और गीजा के पिरामिड शामिल हैं। 

31 अक्टूबर को भारत के पहले उपप्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल के 143वें जन्मदिन के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस मूर्ति का उद्घाटन किया था। तभी से यह लोगों की उत्सुकता का कारण बनी हुई है। 

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स्टैच्यू ऑफ यूनिटी अब तक सबसे बड़ी प्रतिमा माने जाने वाले चीन के स्प्रिंग टेंपल ऑफ बुद्ध से 100 फीट ऊंची है। यही नहीं यह न्यूयॉर्क के विश्व विख्यात स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची है। 

पांच साल पहले रखी गई थी नींव

सरदार पटेल की विश्व में सबसे ऊंची प्रतिमा के बनने की नींव पांच साल पहले ही रख दी गई थी। करीब 3 हजार करोड़ रुपये की लागत से बनी इस स्मारक की आधारशिला 31 अक्टूबर, 2013 को पटेल की 138वीं वर्षगांठ के मौके पर रखी गई थी। तब मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे। इस प्रतिमा के लिए भाजपा ने पूरे देश में लोहा इकट्ठा करने का अभियान भी चलाया था। ये विशालकाय प्रतिमा लाखों टन लोहे और तांबे को मिलाकर बनाई गई है। इस मूर्ति की खास बात यह है कि इसे बनाने के लिए लोहा भारत के किसानों से खेती के बेकार हो चुके औजारों को लेकर इकठ्ठा किया गया।इस प्रतिमा के लिए 'सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय एकता ट्रस्ट' भी बनाया गया।