नई दिल्ली:  याचिका में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी  सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। पिछले महीने फरवरी में कैबिनेट ने ट्रिपल तलाक को लाए गए अध्यायदेश को बढ़ाने की मंजूरी दी थी। 

ये नया अध्यायदेश जून तक लागू रहेगा, जिसके बाद अगर इस कानून को जारी रखा जाता है तो दोबारा अध्यायदेश लाना होगा। अन्यथा संसद से इसे पास करना होगा। 

 अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक को अवैध करार देने के बाद से ही ये मुद्दा गरम रहा है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार ने सक्रियता दिखाते हुए मुस्लिम महिलाएं विधेयक 2017 लेकर आई थी। ये विधेयक लोकसभा में तो पारित हो गया लेकिन राज्यसभा में यह बिल अटक गया। 

विपक्ष ने ट्रिपल तलाक पर कुछ संशोधनों की मांग की थी, जिसे लेकर दोनों पक्षों में सहमति नहीं बन पाई। इसके बाद संभावना जताई जा रही थी कि इस विधेयक को दिसंबर में आने वाले शीतकालीन सत्र में पेश किया जाना था, लेकिन उससे पहले ही सरकार इस मामले में अध्यायदेश लेकर आ गई। 

ट्रिपल तलाक की प्रथा को मुस्लिम पुरुषों के लिए दंडनीय अपराध बनाने वाले अध्यादेश को अब तक तीन बार जारी किया जा चुका है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मुस्लिम महिलाओं से संबंधित दूसरे अध्यादेश पर फरवरी 2019 में दस्तखत किए थे।