उज्जैन. सिहोर वाले प्रदीप मिश्रा (Sehore Wale Pandit Pradeep Mishra) बातों ही बातों में लाइफ मैनेजमेंट के कई ऐसे टिप्स बता देते हैं जिनमें गहरे रहस्य छिपे होते हैं। पिछले दिनों हुई एक कथा के दौरान पंडितजी ने श्रोताओं से कहा कि वे अपने बच्चों को प्रणाम करना जरूर सिखाएं, इसके कई फायदे होते हैं। इस विषय पर पंडितजी ने कई कथाएं भी सुनाई। आगे जानिए क्यों किसी को प्रणाम करना चाहिए…  

मार्कण्डेय ऋषि ने पिता से पूछा प्रश्न
प्राचीन समय में मार्कण्डेय नाम के एक विद्वान मुनि थे, वे जब बालक थे तो उनके पिता ने उन्हें अपनों से बड़ों को प्रणाम करने की शिक्षा दी। मार्कण्डेय मुनि जब भी अपने से किसी बड़े व्यक्ति को देखते, तुरंत उसे झुककर प्रणाम करते। एक दिन मार्कण्डेय मुनि ने अपने पिता मार्कण्डु से पूछा कि प्रणाम करने से क्या मिलता है? मार्कण्डु ऋषि ने बताया कि ‘प्रणाम करने से स्वभाव में विनम्रता आती है, जीवन में जिसे झुकना आ गया उसे कोई उखाड़ नहीं सकता यानी पराजित नहीं कर सकता।’

जब नदी को हो गया अहंकार
पंडित प्रदीप मिश्रा ने एक और कथा सुनाई कि एक बार एक विशाल नदी को स्वयं पर अहंकार हो गया, वो समुद्र के पास गई और बोली ‘ मांगों तुम्हें में क्या लाकर दूं। पहले से समुद्र ने मना कर दिया, लेकिन जब समुद्र को अहसास हुआ कि नदी को खुद पर कुछ ज्यादा ही अहंकार है तो समुद्र ने उससे हरी दूर्वा लाने को कहा। नदी के तट पर ढेर सारी दूर्वा थी, लेकिन जैसे ही नदी उसे उखाड़ने के लिए अपना वेग बढ़ाती, वैसे ही दूर्वा नीचे झूक जाती। थक हारकर नदी समुद्र के पास गई। तब समुद्र ने कहा कि ‘जगत में किसी में भी इतना सामर्थ्य नहीं है कि झूकने वाले को उखाड़ दे।’

बच्चों में जरूर डाले यें आदत
पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि बच्चों में शिव मंदिर जाने और बड़ों को प्रणाम करने की आदत जरूर डालो। परिवार के बड़े लोगों में भले ही कितने विवाद हो, लेकिन बच्चों को समझाओ की जब भी कोई अपने से बड़ा मिले, उसे विनम्रता पूर्वक प्रणाम जरूर करो। यही आदत उनके स्वभाव में विनम्रता लेकर आएगी।

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