मंटो ऐसे लेखक थे जिन्हें भारत और पाकिस्तान दोनों देशों में पसंद किया जाता है। मंटो के जीवन पर आधारित बनी फिल्म 21 सितंबर को रिलीज होगी।
अपने समय में सर्वाधिक लोकप्रिय और विवादित साहित्यकार-पत्रकार सआदत हसन मंटो के जीवन पर "मंटो" नाम की फिल्म बनाई गई है। मंटो का किरदार फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दीकी निभा रहे हैं। फिल्म का ट्रेलर लांच हो चुका है, ट्रेलर में मंटो के जीवन के उतार-चढ़ाव को दिखाया गया है। फिल्म की निर्देशक नंदिता ने मंटो की कहानियों और उनकी रचनाओं पर शोध के बाद यह फिल्म बनाई है।
फिल्म के बाद अब नंदिता ने "मंटो" की मनपसंद 15 कहानियों को लेकर किताब तैयार की है। नंदिता ने हिंदी और अंग्रेजी में किताबें तैयार कर ली है और कुछ किताबें मुंबई में बांटी भी गई है। लेकिन अब किताब को लेकर विवाद शुरू हो गया है। दरअसल, किताब के कवर पर मंटो या लेखक की बजाए नवाजुद्दीन की "तस्वीर" को जगह मिली है। जो फिल्म मंटो का पोस्टर ही है।
हिंदी के साहित्यकारों को यह बात उचित नहीं लग रही है। साहित्यकारों का कहना है कि बाजार के आगे एक ईमानदार लेखक की "हत्या" की जा रही है। स्वाभाविक तौर पर सवाल यह है कि लेखक "मंटो" बड़े हैं या फिल्म में उनका किरदार निभाने वाले नवाजुद्दीन सिद्दीकी?
सोशल मीडिया पर हिंदी के युवा साहित्यकारों ने आरोप लगाए कि किताब से नवाजुद्दीन का ऐसा क्या जुड़ाव है, जो उन्हें कवर पर जगह मिली। लोगों ने यह भी कहा है कि उन्हें उम्मीद नहीं थी कि नंदिता ऐसी हरकत करेंगी।
बता दें यह विवाद तब हुआ जब मुंबई में "मंटो" फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग रखी गई थी। जिसके बाद किताब का कवर फोटो देखकर लोगों का गुस्सा उमड़ आया।