World TB Day: टीबी यानी तपेदिक को आमतौर पर फेफड़ों की बीमारी के रूप में जाना जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह महिलाओं की प्रजनन क्षमता को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है? जननांग तपेदिक (Genital Tuberculosis) एक खतरनाक स्थिति है, जिससे बांझपन और गर्भावस्था संबंधी कई जटिलताएं हो सकती हैं।
विश्व टीबी दिवस पर यह जानना बेहद जरूरी है कि टीबी सिर्फ सांस लेने की समस्या तक सीमित नहीं है, बल्कि यह पूरे शरीर को प्रभावित कर सकता है। विशेष रूप से महिलाओं में गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और डिम्बग्रंथि जैसी महत्वपूर्ण प्रजनन अंगों को भी यह नुकसान पहुंचा सकता है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, महिलाओं में बांझपन (Infertility) के पीछे जननांग तपेदिक एक बड़ा कारण बन सकता है। भारत जैसे देशों में, जहां टीबी के मामले अधिक देखे जाते हैं, वहां बांझपन के 1 से 17% मामलों के पीछे यही बीमारी होती है। यह रोग मुख्य रूप से खून और लसीका तंत्र के माध्यम से फैलता है, जिससे प्रजनन प्रणाली प्रभावित होती है और महिलाएं मां बनने में असमर्थ हो सकती हैं।
डॉ. सुनीता कपूर, जो सिटी एक्स-रे और स्कैन क्लिनिक की निदेशक हैं, बताती हैं कि टीबी का सही समय पर पता लगाना बेहद कठिन हो सकता है। इसके लक्षण कई बार अस्पष्ट होते हैं, जिससे महिलाओं को सही समय पर उपचार नहीं मिल पाता।
गर्भवती महिलाओं में टीबी के कारण समय से पहले डिलीवरी, गर्भपात और नवजात शिशु की मृत्यु दर बढ़ सकती है। एक अध्ययन के अनुसार, टीबी संक्रमित माताओं के बच्चों में कम वजन और समय से पहले जन्म होने की संभावना 2-3 गुना अधिक होती है।
डॉ. पल्लवी पानसे, स्त्री रोग विशेषज्ञ, के अनुसार गर्भावस्था के दौरान जननांग तपेदिक के कारण कई गंभीर जटिलताएं हो सकती हैं:
फैलोपियन ट्यूब ब्लॉकेज – जिससे प्राकृतिक गर्भधारण असंभव हो सकता है।
गर्भाशय की समस्या – जिससे भ्रूण का सही से इम्प्लांटेशन नहीं हो पाता।
डिम्बग्रंथि विकार – जिससे अंडाणु बनना बंद हो सकता है।
चूंकि जननांग तपेदिक के लक्षण स्पष्ट नहीं होते, इसलिए इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण जांचें कराई जा सकती हैं:
फुल ब्लड काउंट (CBC) और ईएसआर टेस्ट – शरीर में इंफेक्शन की उपस्थिति का संकेत देते हैं।
टीबी कल्चर टेस्ट – प्रभावित अंग से सैंपल लेकर बैक्टीरिया की जांच की जाती है।
एंडोमेट्रियल बायोप्सी – गर्भाशय की परत का नमूना लेकर जांच की जाती है।
एनएएटी (NAAT) टेस्ट – टीबी बैक्टीरिया की पुष्टि के लिए सबसे आधुनिक और प्रभावी टेस्ट।
टीबी के इलाज में आमतौर पर एंटी-टीबी ड्रग्स (ATT) का कोर्स 6 से 9 महीनों तक चलता है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) की गाइडलाइंस के अनुसार, सही समय पर सही दवाएं ली जाएं तो टीबी पूरी तरह से ठीक हो सकता है।
डॉ. पल्लवी पानसे के अनुसार, अगर महिला को सही समय पर टीबी का इलाज मिल जाए, तो वह भविष्य में प्राकृतिक रूप से गर्भधारण कर सकती है।
एक स्टडी में पाया गया कि टीबी उपचार के 6 महीनों के भीतर 60% महिलाओं ने सफल गर्भधारण किया। लेकिन गंभीर मामलों में, आईवीएफ (In Vitro Fertilization) और भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer) की जरूरत पड़ सकती है।
TB एक गंभीर लेकिन रोकथाम योग्य और इलाज योग्य बीमारी है। अगर आप समय-समय पर हेल्थ चेकअप करवाते हैं और किसी भी असामान्य लक्षण को नजरअंदाज नहीं करते, तो आप इस बीमारी से बच सकते हैं।
महिलाओं को खासतौर पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि टीबी सिर्फ फेफड़ों को नहीं, बल्कि उनकी मातृत्व क्षमता को भी प्रभावित कर सकता है। सही जानकारी, जागरूकता और समय पर इलाज से न सिर्फ टीबी से बचा जा सकता है, बल्कि प्रजनन स्वास्थ्य को भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
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