बांग्लादेश के वो 3 स्टूडेंट लीडर, जिन्होंने शेख हसीना को सत्ता से किया बेदखल, जानें उनकी स्टोरी

First Published Aug 6, 2024, 1:07 PM IST

बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने वाले प्रमुख तीन स्टूडेंट लीडर की कहानी। जानें कैसे नाहिद इस्लाम, आसिफ महमूद और अबू बकर मजूमदार ने आंदोलन की अगुवाई की और सरकार पर दबाव डाला।

15 साल बाद बांग्लादेश के प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़कर भारत पहुंची शेख हसीना

नई दिल्ली। भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में जारी छात्र आंदोलन 5 अगस्त को तब खत्म हो गया, जब वहां की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुपचुप तरीके से देश छोड़ दिया। उसके बाद बांग्लादेश के सेना प्रमुख ने सामने आकर अंतरिम सरकार बनाने का ऐलान किया। बांग्ला देश के आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले 3 छात्रों के बारे में बताते हैं,  जिनकी वजह से शेख हसीना को देश से भागना पड़ा। अब नई सरकार बनने जा रही है। शेख हसीना ने भारत में शरण ली है।

शेख हसीना ने भारत में ली शरण

ठीक डेढ़ महीने पहले बतौर बांग्लादेश की प्रधानमंत्री के रूप में भारत आने वाली शेख हसीना 5 अगस्त को जब भारत आई तो एक शरणार्थी के रूप में न कि प्रधानमंत्री के रूप में। इसे कहते हैं समय का तकाजा। शेख हसीना जैसी सख्शियत को देश छोड़ने को विवश करने वालों में यूं तो लाखों लोग शामिल थे, लेकिन जिन तीन स्टूडेंट लीडरों का रोल सबसे ज्यादा रहा, उन्होंने यूनिवर्सिटी कैंपस से अपने आंदोलन की शुरूआत की थी और आखिरकार शेख हसीना गर्वनमेंट को सत्ता से बेदखल कर दिया है। आईए जानते हैं वो कौन हैं तीनों स्टूडेंट लीडर?

पुल के नीचे बेहोश मिले स्टूडेंट लीडर नाहिद इस्लाम बने हीरो

बांग्लादेश के छात्र नेता नाहिद इस्लाम से, जिन्होंने प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देने और ढाका से भागने पर मजबूर किया। ढाका विश्वविद्यालय के छात्र नाहिद इस्लाम उस आंदोलन का चेहरा बनकर उभरे, जिसके कारण शेख हसीना को अचानक जाना पड़ा। बांग्लादेश में शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने का श्रेय काफी हद तक नाहिद इस्लाम के प्रयासों को जाता है।  नाहिद इस्लाम 'छात्रों के खिलाफ भेदभाव' नामक एक छात्र संगठन के समन्वयक के रूप में कार्य करते हैं।

नाहिद इस्लाम ने कहां पुलिस ने बंधक बनाकर बहुत पीटा

नाहिद ने दावा किया कि पुलिस ने उन्हें 20 जुलाई की सुबह गिरफ्तार किया, हालांकि पुलिस ने इससे इनकार किया। पुलिस द्वारा अपहरण और हमला सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में पुलिस को नाहिद को एक वाहन में डालते हुए दिखाया गया है। लापता होने के 24 घंटे बाद वह एक पुल के नीचे बेहोशी की हालत में मिला। नाहिद ने आरोप लगाया कि पुलिस ने उसे तब तक पीटा जब तक वह बेहोश नहीं हो गया। 26 जुलाई को जब उन्हें फिर से हिरासत में लिया गया, तब वे एक अस्पताल में इलाज करा रहे थे।

आंखों में पट्टी, पीठ पर पुलिस की लाठी फिर भी नहीं खुली आसिफ महमूद की जुबां

आसिफ महमूद मानवाधिकार रक्षक हैं, ढाका यूनिवर्सिटी के भाषा विज्ञान विभाग के छात्र हैं और भेदभाव विरोधी छात्र आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वयकों में से एक हैं। आसिफ महमूद ने आरोप लगाया कि 19 जुलाई 2024 को उन्हें शेख हसीना की पुलिस ने अगवा कर लिया। छह दिन तक प्रताड़ित किया गया। उसके बाद उनकी आंखों पर पट्टी बांधकर उन्हें एक दूरदराज के इलाके में छोड़ दिया गया।

पुलिस कस्टडी से छूटते ही आसिफ ने आंदोलन तेज करने का किया आह्वान

26 जुलाई 2024 को, आसिफ महमूद को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की डिडेक्टिव ब्रांच सहित विभिन्न इंटेलीजेंस एजेंसियों के कर्मियों के रूप में अपनी पहचान बताने वाले व्यक्तियों द्वारा धानमंडी के गोनोशस्थया नगर अस्पताल से ले जाया गया। रिपोर्ट्स के मुताबिक पुलिस ने इनसे मारपीट कर जबरन वीडियो बनवाया था। आसिफ को एक इंजेक्शन दिया गया जिससे वह कई दिनों तक बेहोश रहा। 1 अगस्त को हुए प्रदर्शन के बाद उन्हें छोड़ दिया गया। 3 अगस्त को आसिफ ने फेसबुक पर पोस्ट करते हुए छात्रों से घर पर न रहने और नजदीकी प्रदर्शनों में शामिल होने की अपील की।

प्रेशर नहीं आया काम, तीसरे हीरो बनकर चमके अबु बकेर मजमूदार

अबू बकर मजूमदार मानवाधिकार रक्षक हैं और ढाका विश्वविद्यालय के भूगोल विभाग के छात्र हैं तथा छात्रों के खिलाफ भेदभाव आंदोलन के राष्ट्रीय समन्वयकों में से एक हैं। अबू को 19 जुलाई की शाम धानमंडी इलाके से कुछ लोग आंखों में पट्टी बांधकर  उठा ले गए थे। दो दिन बाद  छोड़ दिया गया। बाद में अबू ने मीडिया को बताया कि पुलिस उसे एक कमरे में बंद कर आंदोलन वापस लेने का दबाव बना रही थी। 

ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने अबु को उठाया

मना करने पर उनके साथ मारपीट की गई। घायल अबू मजूमदार को धानमंडी के गोनोशस्थया नगर अस्पताल में भर्ती किया गया था। 26 जुलाई को पुलिस ने उसे दोबारा हिरासत में ले लिया। इस बार उन्हें साथ ले जा रहे लोगों ने खुद को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस की जासूसी विंग का अधिकारी बताया। वहां मौजूद लोगों को बताया गया था कि उसे शांति भंग करने के आरोप में हिरासत में लिया गया है।

अंतरिम सरकार का आह्वान

एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में नाहिद इस्लाम ने 24 घंटे के भीतर अंतरिम सरकार बनाने का आह्वान किया। उन्होंने घोषणा की कि छात्र संगठन इसके लिए अपना प्रस्ताव पेश करेगा। उन्होंने कहा, हम पहले सभी समन्वय समितियों, नागरिक समाज, राजनीतिक और राज्य के हितधारकों के साथ चर्चा करेंगे। अंतरिम सरकार का खाका 24 घंटे के भीतर पेश किया जाएगा। नाहिद ने इस बात पर भी जोर दिया कि यदि सेना इमरजेंसी लागू करती है और सरकार बनाती है तो यह स्वीकार्य नहीं होगा।

click me!