केंद्रीय कैबिनेट की ओर से बैंकिंग सेक्टर में बदलाव को मिली मंजूरी
Bank Account Nominees: देश का बैंकिंग सेक्टर पिछले कुछ सालों में लगातार बढ़ रहा है। सरकार का फोकस NPA कम करने और बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत करने पर है। शुक्रवार को केंद्रीय कैबिनेट की ओर से बैंकिंग सेक्टर से जुड़े कुछ अहम बदलावों को लेकर फैसले लिए गए। इस संबंध में कैबिनेट की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि सेंट्रल गर्वनमेंट ने बैंकिंग रूल्स में करीब 6 बदलावों को मंजूरी दी है। इसमें सबसे बड़ा बदलाव बैंक एकाउंट के नॉमिनी को लेकर किया गया है। नए नियम के लागू होने से सभी एकाउंट होल्डर प्रभावित होंगे। कैबिनेट की ओर से दी गई जानकारी में बताया गया कि अब किसी भी बैंक एकाउंट में मैक्सिमम 4 नॉमिनी बनाए जा सकेंगे।
गर्वनमेंट का क्या है उद्देश्य?
इसके अलावा लगातार और एक साथ नॉमिनी बनाने की नई व्यवस्था भी शुरू की जाएगी। इन बदलावों का उद्देश्य कस्टमर को किसी भी तरह की परेशानी से बचाना है। दरअसल, पिछले दिनों पता चला था कि अलग-अलग बैंकों के एकाउंटों में हजारों करोड़ रुपये ऐसे हैं, जिनका कोई दावेदार नहीं है। इसको लेकर RBI ने विशेष अभियान भी चलाया था। लेकिन उससे भी संतोषजनक रिजल्ट नहीं मिले हैं। इसी वजह से नियमों में बदलाव की तैयारी की जा रही है।
अभी क्या है नियम?
अभी जब आप बैंक एकाउंट खोलते हैं, तो आपको नॉमिनी का नाम दर्ज करना होता है। इसका उद्देश्य आपकी मृत्यु के बाद एकाउंट में जमा पैसे को उस व्यक्ति को देना है। अभी आप इसके लिए सिर्फ एक ही व्यक्ति का नाम नॉमिनी के तौर पर लिख सकते थे। लेकिन अब केंद्रीय कैबिनेट की ओर से दी गई मंजूरी के बाद नए नियम के तहत आप अपने एकाउंट में एक से ज्यादा लोगों को नॉमिनी बना सकेंगे। इसके अलावा इंश्योरेंस और हिंदू अविभाजित परिवार (HUF) एकाउंट की तरह लगातार और एक साथ नॉमिनी बनाने की सुविधा से ज्वाइंट एकाउंट होल्डर्स और वारिसों को एकाउंट होल्डर्स की मृत्यु के बाद पैसा मिल सकेगा।
फाईनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने जताई थी चिंता
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक केंद्र द्वारा संचालित पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF) में एक से ज्यादा नॉमिनी हो सकते हैं। हालांकि इन नियमों के बारे में पूरी जानकारी तभी स्पष्ट होगी जब वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण संसद में बिल पेश करेंगी। सरकार और अधिकारियों ने इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी है। कुछ महीने पहले फाईनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने बैंक एकाउंट और दूसरी जगहों पर जमा ऐसे पैसों को लेकर चिंता जताई थी, जिन पर कोई क्लेम नहीं करता।
पैसे को सही मालिकों को लौटाने का भी दिया आदेश
उन्होंने बैंकों, म्यूचुअल फंड और दूसरी फाईनेंसियल कंपनियों को यह पैसा सही मालिकों को लौटाने का आदेश दिया था। लेकिन इसके बावजूद मार्च 2024 के अंत तक ऐसे पैसों की रकम बढ़कर 78,000 करोड़ रुपये से ज्यादा हो गई। बैंकों ने कई बार ऐसे पैसों के क्लेम का निपटान करने की कोशिश की थी। कानून में बदलाव करने की भी योजना है ताकि अगर किसी के पास बोनस के तौर पर शेयर या बॉन्ड का पैसा पड़ा है और उस पर क्लेम नहीं किया जा रहा है तो उसे निवेशक शिक्षा संरक्षण कोष (IEPF) में ट्रांसफर किया जा सके। अभी IEPF में सिर्फ बैंकों के शेयर ही ट्रांसफर किए जाते हैं।
ऑडिटर की सैलरी तय करने की मिलेगी आजादी
इसके अलावा सरकार ने बैंकों को ऑडिटर को दी जाने वाली सैलरी तय करने की आजादी देने का भी प्रस्ताव रखा है। अभी यह अधिकार रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पास था। इसके अलावा जिन शेयर होल्डर्स के पास 2 करोड़ रुपये तक के शेयर हैं, उन्हें संबंधित कंपनी में अहम शेयरधारक माना जाएगा। पहले यह सीमा 5 लाख रुपये थी, इसे करीब 60 साल पहले तय किया गया था। बिल में बैंकों के लिए रेगुलट्री कंप्लायन की डेट्स को फिर से डिफाईंड करने का भी प्रस्ताव है। इसके तहत बैंकों को हर महीने की 15 तारीख और लास्ट डेट को रिपोर्ट देनी होगी, अभी यह दूसरे और चौथे शुक्रवार को होता है।