Bank Locker Rules: लॉकर की सुविधा कई बैंक देते हैं। इस लॉकर में लोग अपने ज़रूरी डाक्यूमेंट, आभूषण या कोई और ऐसा सामान रखते हैं, जिसकी सुरक्षा की काफ़ी ज़रूरत होती है। इस वजह से इसे सेफ़ डिपॉज़िट लॉकर भी कहते हैं। कई लोगों को लगता है कि वे बैंक में कुछ भी रख सकते हैं, लेकिन भारतीय रिज़र्व बैंक के नियमों के अनुसार इसमें कुछ चीज़ें रखना वर्जित है। आइए जानते हैं RBI के रिवाइज रूल क्या हैं।
RBI के अनुसार बैंक लॉकर का इस्तेमाल सिर्फ़ वैलिड कामों के लिए ही किया जा सकता है। इसमें आभूषण और डाक्यूमेंट जैसी कीमती चीज़ें रखी जा सकती हैं। लॉकर में आपकी ये चीज़ें पूरी तरह सुरक्षित रहती हैं।
1. SBI की वेबसाइट के मुताबिक सबसे पहले तो आप लॉकर में कैश या करेंसी नहीं रख सकते।
2. इसके अलावा किसी भी बैंक लॉकर में हथियार, विस्फोटक, ड्रग्स जैसी चीजें नहीं रखी जा सकतीं है।
3. अगर कोई सड़ने वाली चीज है तो उसे भी लॉकर में नहीं रखा जा सकता।
4. कोई भी रेडियोएक्टिव पदार्थ या ऐसी चीज जो इंडियन लाॅ में बैन है, उसे बैंक लॉकर में नहीं रख सकते।
5. बैंक लॉकर में ऐसी कोई भी चीज नहीं रखी जा सकती, जिससे बैंक या उसके किसी ग्राहक को खतरा हो।
लॉकर खोलने के लिए दो चाबियों की जरूरत होती है। एक चाबी ग्राहक के पास होती है और दूसरी बैंक मैनेजर के पास। जब तक दोनों चाबियों का इस्तेमाल नहीं किया जाता, लॉकर नहीं खुलेगा।
अगर बैंक लॉकर की चाबी खो जाए तो सबसे पहले आपको बैंक को इसकी जानकारी देनी होगी। साथ ही चाबी खोने पर FIR भी दर्ज करानी पड़ती है। अगर आपके बैंक लॉकर की चाबी खो जाती है तो उस स्थिति में दो चीजें हो सकती हैं।
पहला, बैंक आपके लॉकर के लिए नई चाबी जारी कर दे। इसके लिए बैंक डुप्लीकेट चाबी बनवाएगा। हालांकि, डुप्लीकेट चाबी बनवाने में यह रिस्क रहता है कि उस लॉकर की डुप्लीकेट चाबी बनाने वाला व्यक्ति फ्यूचर में उसका मिसयूज कर सकता है।
दूसरी स्थिति यह है कि बैंक आपको दूसरा लॉकर जारी कर देगा और पहला लॉकर तोड़ दिया जाएगा। लॉकर तोड़ने के बाद उसका सारा सामान दूसरे लॉकर में शिफ्ट कर दिया जाएगा और उसकी चाबी ग्राहक को दे दी जाएगी। हालांकि, लॉकर तोड़ने से लेकर उसे दोबारा रिपेयर करवाने तक का सारा खर्च कस्टमर को ही उठाना पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में कोशिश करें कि चाबी को बहुत संभालकर रखें।
बैंक लॉकर की व्यवस्था ऐसी होती है कि इसे खोलने से लेकर तोड़ने तक हर काम के दौरान कस्टमर और बैंक अधिकारी दोनों ही मौजूद रहते हैं। जब भी कोई कस्टमर अपना लॉकर खुलवाने बैंक जाता है तो बैंक मैनेजर भी उसके साथ लॉकर रूम में जाता है। लॉकर खुलने के बाद बैंक अधिकारी कमरे से बाहर निकल जाता है और ग्राहक पूरी गोपनीयता के साथ लॉकर में रखी वस्तुओं को देख, बदल या निकाल सकता है।
इसी तरह जब बैंक का लॉकर तोड़ा जाता है तो बैंक अधिकारी के साथ-साथ ग्राहक का भी वहां मौजूद होना जरूरी होता है।अगर लॉकर को संयुक्त रूप से लिया जाता है तो वहां सभी सदस्यों का मौजूद होना जरूरी होता है। अगर कस्टमर रिटेन में देता है कि उसकी गैरमौजूदगी में भी लॉकर तोड़ा जा सकता है तो कस्टमर के बिना भी लॉकर तोड़ा जा सकता है। उसमें मौजूद वस्तुओं को दूसरे लॉकर में शिफ्ट किया जा सकता है।
अगर किसी व्यक्ति पर कोई क्रिमिनल रिकार्ड दर्ज है और ऐसा लगता है कि उस व्यक्ति ने अपने लॉकर में कोई ऐसी चीज छिपा रखी है, जो अपराध से जुड़ी हो सकती है तो लॉकर तोड़ा जा सकता है। हालांकि, इस स्थिति में बैंक अधिकारियों के साथ-साथ पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी भी जरूरी है।
SBI के मुताबिक अगर कोई व्यक्ति 3 साल तक अपने लॉकर का किराया नहीं देता है तो बैंक लॉकर तोड़कर अपना किराया वसूल सकता है। अगर किसी कस्टमर का लॉकर 7 साल तक बंद रहता है और कस्टमर का पता नहीं चलता है, तो भी किराया चुकाने के बावजूद बैंक उस लॉकर को तोड़ सकता है।