कभी 12वीं में फेल हुआ ये लड़का, अब भारत का फार्मा किंग, जानिए कैसे बदली किस्मत?

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jan 6, 2025, 11:27 AM IST

जानिए हैदराबाद के सबसे अमीर व्यक्ति की इंस्पिरेशनल स्टोरी, जिन्होंने 12वीं कक्षा में फेल होने के बाद भी मेहनत और लगन से फार्मास्युटिकल उद्योग में अरबों का साम्राज्य खड़ा किया। 

नई दिल्ली। 12वीं कक्षा के नतीजों को लेकर आम धारणा है कि ये भविष्य की नींव रखते हैं। अच्छे नंबरों का मतलब है टॉप कॉलेज में एडमिशन और अच्छी नौकरी। लेकिन 12वीं क्लास में अच्छा परफॉर्मेंस न करने के बाद भी डॉ. मुरली कृष्ण प्रसाद दिवी ने बड़ा मुकाम हासिल किया। अपनी नाकामियों को पीछे छोड़कर हैदराबाद के सबसे अमीर व्यक्ति बने। अब फॉर्मा इंडस्ट्री के दिग्गज​ बिजनेसमैन में शुमार हैं। आइए जानते हैं उनकी सफलता की कहानी।

12वीं में फेल, जैसे-तैसे फिर पास की परीक्षा 

डॉ. मुरली कृष्ण प्रसाद दिवी का जन्म आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के एक छोटे से गांव में हुआ। बचपन से ही पढ़ाई में उनका परफॉर्मेंस औसत था। पढ़ाई के शुरुआती वर्षों में ही उन्होंने कई चुनौतियों का सामना किया। 12वीं कक्षा में, वे फेल हो गए और यह उनकी जिंदगी का सबसे बड़ा झटका था। लेकिन इस असफलता के बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी। कठिन परिस्थितियों के बावजूद, जैसे-तैसे 12वीं की परीक्षा पास की। 

12वीं पास करने के बाद बी. फार्मा

12वीं पास करने के बाद, उनका संघर्ष खत्म नहीं हुआ। बैचलर ऑफ फार्मेसी (बी. फार्मा) में दाखिला लिया। बी. फार्मा के दौरान भी पढ़ाई उनके लिए आसान नहीं थी। पहले साल में ही उन्हें कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। लेकिन इस बार उन्होंने पीछे मुड़कर न देखने की कसम खाई। न केवल अपनी डिग्री पूरी की, बल्कि फार्मा इंडस्ट्री में अपने लिए एक अलग रास्ता बनाने का सपना देखा।

अमेरिका में 7 डॉलर प्रति घंटे की नौकरी

डॉ. दिवी ने 1975 में वार्नर हिंदुस्तान में एक ट्रेनी के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की। यह नौकरी उनके लिए सीखने का एक बेहतरीन अवसर थी। हालांकि, उनका सपना हमेशा से बिजनेस शुरू करने का था। वे जानते थे कि बिजनेस में सफलता पाने के लिए उन्हें बिजनेस के हर पहलू को समझना होगा। अनुभव लेने के लिए अमेरिका का रुख किया, जहां 7 डॉलर प्रति घंटे की नौकरी की। इस एक्सपीरियंस ने उन्हें ग्लोबल मार्केट और फार्मा इंडस्ट्री को समझने का मौका दिया।

फैमिली में आई इमरजेंसी ने बदली जीवन की दिशा

अमेरिका में काम करने के दौरान, एक पारिवारिक इमरजेंसी के कारण उन्हें हैदराबाद लौटना पड़ा। यहीं से उनके जीवन की दिशा पूरी तरह बदल गई। 1984 में, उन्होंने डॉ. कल्लम अंजी रेड्डी के साथ मिलकर केमिनोर ड्रग्स कंपनी खरीदी। यह उनके करियर के लिए टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। यहां उन्होंने फार्मास्युटिकल रिसर्च और मैन्युफैक्चरिंग की बारीकियां सीखी।

डिवीज लैबोरेटरीज की कैसे हुई शुरूआत?

1990 तक, डॉ. दिवी ने अपने दम पर कुछ करने का फैसला किया। उन्होंने डिवीज रिसर्च सेंटर प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना की। यह कंपनी शुरू में अन्य दवा कंपनियों को तकनीकी सलाह और सेवाएं प्रदान करती थी। लेकिन उनका असली सपना अभी बाकी था। 1994 में, उन्होंने अपनी मेहनत की कमाई से जमा की गई पूंजी को एक नए प्रोजेक्ट में निवेश किया। नलगोंडा में एक अत्याधुनिक एपीआई (एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट) प्लांट की नींव रखी। यही प्लांट बाद में डिवीज लैबोरेटरीज के लिए बेस बना।

काम में क्वालिटी को रखा सबसे ऊपर 

डॉ. दिवी ने अपने काम में क्वालिटी को सबसे ऊपर रखा। कभी पेटेंट का उल्लंघन नहीं किया और शॉर्टकट लेने से इनकार कर दिया। इसी सोच ने उनकी कंपनी को इंटरनेशनल लेबल पर पहचान दिलाई। डिवीज लैबोरेटरीज ने दुनिया की टॉप 10 फार्मास्युटिकल कंपनियों में से 8 के साथ मजबूत संबंध बनाए। आज, यह कंपनी भारत की सबसे बड़ी फार्मास्युटिकल कंपनियों में से एक है। 

दुनिया की 100 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में शामिल

अक्टूबर 2024 में, डॉ. मुरली कृष्ण प्रसाद दिवी और उनके परिवार को फोर्ब्स की भारत के 100 सबसे अमीर लोगों की लिस्ट में जगह मिली। उनकी कुल संपत्ति 9.2 बिलियन डॉलर आंकी गई और वे 29वें पायदान पर थे। उनकी कहानी बताती है कि असफलता से घबराने की बजाय, उसे अपनी ताकत बनाया जाए।

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