mynation_hindi

67 साल की टीचर पचास साल से नंगे पांव, 25 किलोमीटर दूर स्टूडेंट्स को जाती हैं पढ़ाने

Published : Aug 10, 2023, 11:30 AM IST
67 साल की टीचर पचास साल से नंगे पांव, 25 किलोमीटर दूर स्टूडेंट्स को जाती हैं पढ़ाने

सार

केरला की नारायणी टीचर एक उदाहरण है मेहनत, हिम्मत और लगन का।  पिछले पचास साल से वो नंगे पांव 25 किलोमीटर का सफर पैदल  तय करके स्टूडेंट्स को पढ़ाने जाती हैं। नारायणी सिर्फ दसवीं तक पास हैं लेकिन उन्हें चार भाषाओं का ज्ञान है।  उनके पढ़ाए बच्चे हमेशा अच्छा नंबर लाते हैं और विदेशों में सेटेल हैं। 

केरला.हम आधा किलोमीटर भी पैदल चलते हैं तो थक जाते हैं, दूसरे माले पर जाने के लिए अगर सीढ़ियों पर चढ़ते हैं तो सांस फूलने लगती है लेकिन क्या आपको पता है की केरला के कासरगोड में एक 67 वर्षीय टीचर बच्चों को पढ़ाने के लिए पिछले 50 साल से हर रोज 25 किलोमीटर पैदल चलती है वो भी नंगे पांव । इनका नाम के वी नारायणी है जो नारायणी टीचर के नाम से मशहूर हैं। 

कौन है नारायणी
नारायणी टीचर कासरगोड की रहने वाली है । कासरगोड के चेरुवाथुर रेलवे स्टेशन के पास एक कमरे के घर में पिछले दस साल से वो अपने पति दामोदरन के साथ एक किराए के घर में रहती हैं। दामोदरन पहले एक होटल में काम करते थे, लेकिन अब वह बीमारी के कारण कोई काम नहीं करते हैं। 1971 में नारायणी ने दसवीं कक्षा राजस हाई स्कूल नीलेश्वरम से पास की थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। 15 साल की उम्र से उन्होंने पढ़ाना  शुरू किया था। आपको जानकर हैरत होगी कि नारायणी कभी स्कूल नहीं गई, ना ही उन्होंने टीचर बनने की कोई डिग्री का ट्रेनिंग लिया है। इसके बावजूद वह चार भाषाएं जानती हैं अंग्रेजी हिंदी मलयालम और संस्कृत।

सुबह तड़के निकल जाती हैं पढ़ाने 

नारायणी हर रोज सुबह 4:30 बजे अपना घर छोड़ देती  हैं और 6:30 बजे तक वह अपने पहले स्टूडेंट के घर पर पहुंच जाती हैं।अपने घर से निकलते समय वो एक बैग टॉर्च और एक छाता रख लेती हैं। उनके पहले स्टूडेंट का घर मनीटट्टू में पड़ता है। उसके बाद बारी बारी करके वह अपने सारे स्टूडेंटस  के घर जाती हैं और रात होते-होते घर लौट आई हैं ।ट्यूशन से मिलने वाले पैसे से ही उनकी रोजी-रोटी चलती है और अपने बीमार पति की दवाइयां भी वो इसी पैसे से लाती हैं। 

कोविड में भी जारी रखा पढना 

नारायणी ने लॉक डाउन में भी बच्चों को पढ़ाना जारी रखा। वो हर रोज़ मास्क और सैनिटाइज़र लेकर घर से निकलती थीं और बच्चों को पढ़ाकर वापिस आ जाती थीं।  नारायणी कहती है मैंने लॉक डाउन में एक दिन भी आराम नहीं किया। हमेशा की तरह बच्चों को पढाने जाती थी नियमो का पालन करते हुए। नारायणी कहती हैं पढ़ाना मेरी आदत बन चुकी है इसलिए बिना पढ़ाए रह नहीं पाती मैं।


नारायणी के पढ़ाए स्टूडेंट्स विदेशों में सेटल हैं 
नारायणी के पढ़ाए हुए बहुत सारे फेमस स्टूडेंट है जिनमें साउथ एक्ट्रेस काव्या माधवन है. उनके पढ़ाए हुए कुछ तमाम स्टूडेंटस ने एमबीबीएस किया है और वह डॉक्टर बन चुके हैं। नारायणी कहती है आज तक मेरे स्टूडेंट या किसी स्टूडेंट के पेरेंट ने मुझसे कोई शिकायत नहीं किया। अब तक सौ से ज़्यादा बच्चो को पढ़ा चुकी हूँ। उनके पढ़ाए बच्चे हमेशा अच्छा नंबर लाते हैं, कुछ बच्चे तो विदेश में भी बढ़िया काम कर रहे हैं।  नारायणी का अपना कोई मकान नहीं है ना ही उनके कोई बच्चे हैं। यही स्टूडेंट्स उनके बच्चे हैं । नारायणी का पसंदीदा सब्जेक्ट इंग्लिश है। 

पचास साल में कभी कोई परेशानी नहीं हुई 

नारायणी कहती हैं पिछले पचास साल से मैं इस रस्ते से जा रही हूं कभी कोई परेशानी नहीं हुई। आने जाने वाले पहचानने लगे हैं, मेरा सम्मान करते हैं, कुछ लोग अम्मा कह कर बुलाते हैं लेकिन पिछले साल दिसंबर में मुट्टालाई नेशनल हाइवे पर ट्यूशन जाते समय कुछ लोगों ने सुबह साढ़े पांच बजे मुझे घेर लिया। मेरा पैसा छीन लिया। ये सब लोग एक गाडी में आए थे।उन्होंने मेरा  बैग, पैसा , छाता, चश्मा और टॉर्च  फ़ेंक दिया। मैंने पुलिस कम्प्लेन किया लेकिन पुलिस ने कोई इन्वेस्टिगेशन नहीं किया। 

भगवान मुरूगन की बहुत बड़ी भक्त हैं 

नारायणी पलानी मंदिर के भगवान मुरुगन की  भक्त हैं, और अक्सर वो उनके लिए उपवास रखती हैं। इस कारन वो जूते भी नहीं पहनती।  वह हर साल पलानी पहाड़ी पर चढ़ती है। पहाड़ी पर लगभग 693 सीढ़िया हैं जो 500 फीट (150 मीटर) की ऊंचाई पर स्थित है। नारायणी कहती हैं कि पैदल चलना उनके दैनिक उपवास का हिस्सा है। वह कहती हैं, ''जब तक मेरा स्वास्थ्य इजाजत नहीं देगा, मैं पैदल चलना और पढ़ाना दोनों ही जारी रखूंगी।'' नारायणी का एक ही सपना है कि कासरगोड में उनका अपना एक घर हो जाए। 

ये भी पढ़ें  

दोनों हाथ कटे, मुंह में पेंसिल दबाकर लिखना सीखा, आज बच्चों को फ्री शिक्षा दे रहे बाबू भाई परमार...

PREV

Recommended Stories

श्री बजरंग सेना अध्यक्ष हितेश विश्वकर्मा का अनोखा जन्मदिन, लगाएंगे एक लाख पौधे
श्री बजरंग सेना अध्यक्ष हितेश विश्वकर्मा का अनोखा जन्मदिन, लगाएंगे एक लाख पौधे
Oshmin Foundation: ग्रामीण भारत में मानसिक शांति और प्रेरणा का एक नया प्रयास, CSR का एक उत्कृष्ट उदाहरण