Prof. HC Verma: बिहार का वह शिक्षक, जिसकी किताब से हजारों बने इंजीनियर

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Sep 9, 2024, 1:53 PM IST

जानें कैसे बिहार के डॉ. एचसी वर्मा ने पढ़ाई में शुरुआती विफलताओं के बावजूद 'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' के जरिए हजारों छात्रों की जिंदगी बदल दी। पद्मश्री से सम्मानित इस प्रोफेसर की प्रेरणादायक यात्रा और उनकी किताब के सफलता की कहानी।

Prof. HC Verma: 12वीं साइंस स्ट्रीम के स्टूडेंड हों या IIT-NIT पासआउट, आपने उनसे डॉ. हरीश चंद्र वर्मा यानी डॉ. एचसी वर्मा का नाम जरूर सुना होगा। बिहार के दरभंगा जिले से निकलकर उन्होंने विज्ञान की दुनिया में वो मुकाम हासिल किया, जिसका सपना हर शिक्षक देखता है। उन्हें साल 2021 में पद्मश्री सम्मान दिया गया था। उनकी फिजिक्स की बुक ‘कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स’ मशहूर है। बचपन में उनका पढ़ाई में मन नहीं लगता था। आइए जानते हैं कि फिर कैसे वह आईआईटी जैसे प्रतिष्ठित संस्थान के प्रोफेसर बनें?

पढ़ाई में पीछे, मां का एक उपाय कर गया काम

डॉ. हरीश चंद्र वर्मा की कहानी उन तमाम छात्रों को उम्मीद देती है, जो कभी खुद को पढ़ाई में कमजोर समझते हैं। उन्होंने भी एक समय खुद को ऐसा ही समझा था। जब वह 14 साल के थे, तब पढ़ाई में उनका मन बिल्कुल नहीं लगता था। कक्षा में ध्यान लगाकर पढ़ते थे, लेकिन चीजें याद नहीं रहती थीं। वह अपने साथियों से हमेशा पीछे रह जाते थे। इस निराशा के क्षणों में उनकी मां का एक छोटा सा उपाय उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया। 

एक घंटा पढ़ाई करने पर मिठाई

एक इंटरव्यू में वह बताते हैं कि उनकी मां ने ठेकुआ (बिहार की प्रसिद्ध मिठाई) का जार भर कर रख दिया और कहा कि पढ़ाई पर ध्यान दो, एक घंटा अच्छे से पढ़ो, तब तुम्हें ठेकुआ मिलेगा। शायद यह मां का प्यार था या उनकी सादगी, जिसने एक नासमझ बच्चे को धीरे-धीरे शिक्षा की ओर मोड़ा। एक छोटे से प्रयास से उनकी जिंदगी में बड़ा बदलाव आया, अक्टूबर में मां के उपाय के बाद दिसम्बर में एग्जाम दिया। रिजल्ट ने सबको चौंका दिया। वह अपनी परीक्षा के सभी सब्जेक्ट में पास हुए।

आईआईटी कानपुर से पढ़ाई के बाद टीचर बनने की जर्नी

डॉ. वर्मा के लिए यह एक शुरुआत थी। वे धीरे-धीरे विज्ञान की ओर अट्रैक्ट होने लगे और यही इंटरेस्ट उन्हें पटना विज्ञान कॉलेज तक ले गया। वहां से बीएससी पूरा करने के बाद, उन्होंने गेट (GATE) परीक्षा पास की और फिर आईआईटी कानपुर से एमएससी और पीएचडी की। पढ़ाई के प्रति उनके जुनून और मेहनत ने उन्हें पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाने का अवसर दिया, जहां से उनकी शिक्षक बनने की यात्रा शुरू हुई। लेकिन उनके मन में हमेशा कुछ नया करने की चाहत रही।

'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' का जन्म

पटना साइंस कॉलेज में पढ़ाते वक्त उन्होंने देखा कि छात्र फिजिक्स के जटिल सिद्धांतों को समझने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। वह चाहते थे कि छात्रों के लिए फिजिक्स को समझना आसान हो जाए, ताकि वे इस विषय से डरने के बजाय इसे प्यार करें। इसी सोच के साथ उन्होंने एक किताब लिखने का निर्णय लिया। उन्होंने फिजिक्स को सरल भाषा में समझाने के लिए आठ साल तक दिन-रात मेहनत की और आखिरकार 'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' किताब तैयार की।

बेस्ट सेलिंग फिजिक्स किताबों में शामिल

जब डॉ. वर्मा ने 'कॉन्सेप्ट ऑफ फिजिक्स' लिखी, तो उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह किताब एक ब्रांड बन जाएगी। लेकिन आज यह किताब हर उस छात्र के लिए आदर्श है, जो विज्ञान को समझना चाहता है। यह सिर्फ एक किताब नहीं, बल्कि हजारों छात्रों की सफलता की कहानी है। न केवल इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षाओं की तैयारी करने वाले छात्र, बल्कि 12वीं कक्षा के छात्रों के लिए भी यह किताब विज्ञान की दुनिया में एक अटूट साथी बन गई। उनकी यह किताब छात्रों के बीच इतनी प्रसिद्ध हुई कि आज भी इसे बेस्ट सेलिंग फिजिक्स किताबों में से एक माना जाता है। 

2021 में पद्मश्री सम्मान

विज्ञान और शिक्षा के क्षेत्र में उनके अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें 2021 में भारत सरकार ने पद्मश्री से सम्मानित किया। यह सम्मान न केवल उनके लिए, बल्कि उन सभी छात्रों के लिए गर्व की बात थी, जिन्होंने उनके मार्गदर्शन में अपने सपनों को साकार किया। प्रोफेसर एचसी वर्मा आज आईआईटी कानपुर में एमेरिटस प्रोफेसर हैं और साइंस एजूकेशन को आगे बढ़ाने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।

ये भी पढें-डिलीवरी बॉय से फैशन आइकन बनने तक, जानें कैसे एक पोस्टर ने मुंबई के इस शख्स की बदल दी जिंदगी...

click me!