पंजाब के फरीदकोट के गुरप्रीत सिंह ने करीबन 16 साल पहले अपने दोस्तों के साथ मिलकर बर्ड्स हाउस (चिड़ियों का घोंसला) लगाना शुरु किया था। समय के साथ शहर के तमाम लोग भी उनसे जुड़ें। उनके अभियान ने एक संस्था का रूप लिया। बर्ड्स एंवायरनमेंट एंड अर्थ रिवाइविंग हैंड्स सोसायटी (बीड़ सोसायटी) अस्तित्व में आई।
फरीदकोट। पंजाब के फरीदकोट के गुरप्रीत सिंह ने करीबन 16 साल पहले अपने दोस्तों के साथ मिलकर बर्ड्स हाउस (चिड़ियों का घोंसला) लगाना शुरु किया था। समय के साथ शहर के तमाम लोग भी उनसे जुड़ें। उनके अभियान ने एक संस्था का रूप लिया। बर्ड्स एंवायरनमेंट एंड अर्थ रिवाइविंग हैंड्स सोसायटी (बीड़ सोसायटी) अस्तित्व में आई। ये संस्था अब मिट्टी के बने घोंसलों के साथ पौधे भी लगाती है। ताकि देसी पक्षियों को सुरक्षित आसरा मिल सके। अब तक 30 हजार से ज्यादा बर्ड्स हाउस और लाखों की संख्या में पौधे लगा चुके हैं। नतीजा यह हुआ कि इलाके में लुप्त हो रही 14 प्रजातियों के पक्षी फिर नजर आने लगे।
...इसलिए शुरु किया ये काम
माई नेशन से बात करते हुए गुरप्रीत सिंह कहते हैं कि हमें पक्षियों की फोटोग्राफी अच्छी लगती है। हम लोग बर्ड वाचिंग के लिए भी जाते हैं तो सोचा क्यों न इनके लिए कुछ काम किया जाए। इसी सोच के साथ पेड़ और घोंसले लगाना शुरु कर दिया। हम वही पौधे लगाते हैं, जो हमारे एरिया के लिए अच्छे होते हैं। जैसे-पीपल, नीम, बोहोर आदि। कुछ चिड़ियां अपना घोसला खुद बनाती हैं। कुछ चिड़िया दरख्तों में घोंसलें बनाती हैं। इनके लिए घोंसले बनाने की जगह की कमी हो गई थी। बर्ड्स या तो कांटेदार झाड़ियों या फिर हमारे घरों में ही रहते थे।
16 वर्षों में कई प्रजातियों के पक्षी शुरु हुए दिखने
पेशे से टीचर गुरप्रीत कहते हैं कि पहले के मकानों में काफी बर्ड्स आते थे। हमने नये तरीके से घर बनाएं, उनमें काफी बदलाव आ गए हैं। अब इसी वजह से मकानों में बर्ड्स नहीं आते हैं। साल 2007 में हमने ट्रायल के तौर पर इसकी शुरुआत की थी तो 2 से 3 साल बाद आउटपुट आने शुरु हो गए। इन 16 वर्षो में अब तक पक्षियों की लुप्त हो रही करीबन 14 से 15 प्रजातियां आ चुकी हैं।
घर से ही की थी बर्ड्स हाउस लगाने की शुरुआत
बीड़ सोसाइटी के मास्टर गुरप्रीत सिंह कहते हैं कि सबसे पहले बर्ड हाउस लगाने की शुरुआत घर से ही की थी। पहली बार लकड़ी के बर्ड हाउस लगाएं, जो काफी महंगे पड़े थे। फिर मिट्टी के बर्ड हाउस यूज करना शुरु किया। वैसे गुरप्रीत कहते हैं कि इस काम में ज्यादा खर्च नहीं है। मौजूदा समय में 80 फीसदी बर्ड्स हाउस भरे हुए हैं। जब से बर्ड्स हाउस लगाने की शुरुआत की है। कई घोंसले तो ऐसे हैं, जिनमें 35 से 40 बार ब्रीडिंग हो चुकी है। बर्ड एक ही बॉक्स को कई बार यूज करते हैं।