डॉ. फारूक होसैन को कहते हैं 'फ्री वाला डॉक्टर', खुद का घर नहीं फिर भी लोगों की सेवा में लगा दी गाढ़ी कमाई

By Rajkumar UpadhyayaFirst Published Feb 5, 2024, 11:09 PM IST
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पश्चिम बंगाल के डॉ. फारूक होसैन 'फ्री वाला डॉक्टर' कहे जाते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि, वह सुंदरवन के आसपास के ग्रामीणों का फ्री इलाज करते हैं। बांकुड़ा मेडिकल कॉलेज (Bankura Sammilani Medical College) से डॉक्टरी की डिग्री लेने के बाद जॉब भी शुरु की थी। पर उसे छोड़कर गरीबों की  सेवा में जुट गए। 

सुंदरबन (पश्चिम बंगाल)। डॉक्टर फारूक होसैन बेहद गरीब परिवार में जन्मे। बचपन में दुश्वारिया झेलीं तो तय किया कि बड़े होकर इलाके के लोगों के लिए कुछ करेंगे। माय नेशन हिंदी से बात करते हुए फारूक कहते हैं कि गरीब और मजदूर परिवार से हूॅं। जिस जगह से बिलांग करता हूॅं। वहां बहुत गरीबी और अशिक्षा है। इसलिए बचपन से मेरे मन में था कि गरीब लोगों के लिए कुछ करना है।

12 महीने इंटर्नशिप की कमाई से खड़ी की संस्था

फारूक ने गांव के आसपास के स्कूल से 10वीं तक पढ़ाई की। हॉयर सेकेंड्री की पढ़ाई अल अमीन मिशन, हावड़ा (al ameen mission) से की। बाकुड़ा मेडिकल कॉलेज (Bankura Sammilani Medical College) से डॉक्टरी की पढ़ाई की। डॉ. फारूक होसैन कहते हैं कि जब मैं इंटर्नशिप करता था तो उसके बदले कुछ पैसे मिलते थे। 12 महीने के इनकम को लोगों के इलाज के लिए नाबा दिगंता मिशन (Naba Diganta) संस्था खड़ी करने में लगा दिया। खुद का घर नहीं था। एस्बेस्टस के घर में रहते थे, पर खुद का घर नहीं बनाया। मुझे लगा कि एजूकेशन और हेल्थ के लिए कुछ करना पड़ेगा और यही काम पहले करना चाहिए।

10 साल से कर रहे हैं मुफ्त इलाज

डॉक्टर फारूक होसैन पिछले 10 साल से सुदंरबन के आसपास के इलाके के लोगों का फ्री इलाज कर रहे हैं। वह कहते हैं कि यह बहुत मुश्किल काम है। इसके लिए लिए बहुत फंड लगता है। मेरे डॉक्टर दोस्तों के पास आए दवाओं के सैम्पल और कुछ लोगों के घर में बची हुई unused दवाइयां हम लोग इकट्ठा करते हैं। वह दवाइयां गरीबों को देते हैं। लोगों ने ईसीजी, आक्सीजन, शुगर और ब्लड प्रेशर की मशीने डोनेट की हैं। वह लेकर हम लोग सर्विस दे रहे हैं।

 

हर ​शनिवार मेगा कैम्प, 300 से 500 मरीजों का इलाज

डॉक्टर फारूक होसैन कहते हैं कि हमारी सबसे बड़ी प्रॉब्लम यह है कि हमारे पास अच्छी बिल्डिंग नहीं है। हम लोग बांस की बनी हुई बिल्डिंग में काम करते हैं। हर शनिवार को मेगा कैम्प लगाते हैं। उसमें 300 से 500 तक मरीज आते हैं। इस काम में डॉक्टर दोस्त साथ देते हैं। कोई डेंटल तो कोई आंखों की जांच करता है। दांतों और आंखों का फ्री आपरेशन भी होता है। वैसे किसी दिन भी कोई मरीज आता है तो उसे भी सर्विस दी जाती है।

150 गर्ल्स वालंटियर जुड़ीं

फारूक कहते हैं कि सबकी सोच अलग-अलग होती है। पहले लोगों में नासमझी थी। कहते थे​ कि यह काम क्यों शुरु किया। अब वह लोग भी समझते हैं कि यह काम हमारे लिए ही करते हैं। अभी लोग हमे सपोर्ट करते हैं। गांव की स्कूल और कॉलेज जाने वाली 150 लड़कियां हमारे साथ काम करती हैं। उन्हें स्वास्थ्यब्रोती गर्ल्स वालंटियर का नाम दिया है। उन्हें बीपी वगैरह चेक करने की बेसिक ट्रेनिंग दी है।

लड़कियों को फ्री कोचिंग

डॉक्टर फारूक ने 2014 में नाबा दिगंता मिशन शुरु किया। उसके जरिए आसपास के गांवों के बच्चों को ​एजूकेशन भी दे रहे हैं। अभी नर्सरी से चौथी क्लास तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है। साथ ही 9वीं और 10वीं में पढ़ रही लड़कियों को फ्री कोचिंग पढ़ाई जाती है। बच्चों को एजूकेशन देने के साथ वह उन्हें फ्री चिकित्सा परामर्श भी देते हैं और गंभीर मामलो में मुफ्त इलाज भी करते हैं।

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