15 की उम्र में स्कूल छोड़ा, लोहार चॉल की दुकान से शुरुआत की और आज पॉलीकैब इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन इंदर जयसिंघानी 8.6 अरब डॉलर की संपत्ति के मालिक हैं।
Success Story: मुंबई की झोपड़पट्टी में पले-बढ़े इंदर जयसिंघानी को 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ने को मजबूर होना पड़ा। अपने दम पर 8.6 अरब डॉलर की संपत्ति बनाई है। पॉलीकैब इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं, उनकी कहानी सिखाती है कि यदि इंसान अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित है तो कोई भी चुनौती बड़ी नहीं होती।
मुंबई के लोहार चॉल में जन्म
इंदर जयसिंघानी का जन्म मुंबई के लोहार चॉल में हुआ। उनका बचपन साधारण परिस्थितियों में बीता। परिवार का एक छोटा सा बिजनेस था, जिसमें हेल्प करना उनकी डेली रूटीन का हिस्सा था। पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण इंदर को 15 साल की उम्र में स्कूल छोड़ना पड़ा। उसी दरम्यान, उनके पिता का अचानक निधन हो गया, जिससे घर और बिजनेस की सारी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। उन्होंने अपनी मेहनत के दम पर लोहार चॉल की एक छोटी सी इलेक्ट्रिक दुकान को बड़े बिजनेस इम्पायर में बदल दिया।
एक छोटी दुकान से लेकर बड़ी कंपनी तक
लोहार चॉल की छोटी इलेक्ट्रिक शॉप से पॉलीकैब की शुरूआत हुई। इंदर जयसिंघानी ने 1997 में कंपनी की बागडोर संभाली। उनकी व्यवसायिक सूझबूझ ने पॉलीकैब को देश की सबसे बड़ी वायर और केबल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी बना दिया। इंदर ने पॉलीकैब को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए कई स्ट्रेटजी अपनाई। नए बाजारों में प्रवेश किया और प्रोडक्ट्स की क्वालिटी सुधारने पर फोकस किया।
70 से अधिक देशों में पहचान
इंदर जयसिंघानी ने क्वालिटी और इनोवेशन को कंपनी की प्रॉयोरिटी बनाया। अपनी टीम को बेहतर प्रोडक्ट और सर्विसेज देने का लक्ष्य रखा। पॉलीकैब ने न केवल भारत में बल्कि 70 से अधिक देशों में अपने कस्टमर्स का विश्वास जीता है। इंदर 'मेक इन इंडिया' के बड़े सपोर्टर भी हैं। भारत के घरेलू बाजार में सफलता हासिल करने के बाद पॉलीकैब ने ग्लोबल मार्केट में अपनी पहचान बनाई। आज पॉलीकैब 70 से अधिक देशों में अपने प्रोडक्ट्स और सर्विसेज के लिए जानी जाती है।
देश के प्रभावशाली बिजनेसमैन की लिस्ट में शुमार
इंदर जयसिंघानी की लीडरशिप ने उन्हें देश के सबसे प्रभावशाली बिजनेसमैन की लिस्ट में शामिल किया है। पॉलीकैब की CSR (कॉर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) इनिशिएटिव के जरिए इंदर जयसिंघानी ने इकोनॉमिक और सोशल रूप से कमजोर वर्ग के लिए भी कई कदम उठाए हैं।
ये भी पढें-JEE से IAS तक: करोड़ों की नौकरी छोड़ लिया बड़ा रिस्क, ऐसे IAS बनीं दिव्या मित्तल