हरदोई के दिव्यांशु शुक्ला ने एक ऐसा स्टार्टअप शुरु किया है, जो जमीनी स्तर पर स्ट्रगल कर रहे स्टार्टअप को सपोर्ट करता है। उनके अंदर इंटरप्रेन्योरशिप स्किल डेवलेप करने के अलावा अन्य समस्याओं के भी समाधान सुझाती है। स्टार्टअप इंडिया और स्टार्टअप यूपी ने उन्हें रिकॉग्नाइज्ड भी किया है।
लखनऊ। हरदोई के दिव्यांशु शुक्ला पहले मॉल इंडस्ट्री में काम करते थे। एनसीआर-दिल्ली स्थित कई मॉल्स की ओपेनिंग टीम में शामिल रहें। कारपोरेट सेक्टर में सीमित लोगों के बीच काम करना उन्हें कचोटता था। वह सरकार और सिटीजन के साथ मिलकर काम करना चाहते थे। उनकी रूचि सरकारी नीतियों और योजनाओं के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने की थी। दूसरे शब्दों में कहा जाए तो पब्लिक पॉलिसी पर काम करने में वह इंटरेस्टेड थे। उलझन यह थी कि काम शुरु कैसे करें?
इनोवेशन न होने की वजह से रिजेक्शन भी झेला
कहते हैं कि 'जहां चाह, वहां राह', दिव्यांशु शुक्ला के साथ भी यही हुआ। उन्होंने सरकार के कई मंत्रालयों को ईमेल के जरिए काम के लिए प्रस्ताव भेजा। इनोवेशन (आविष्कार) न होने की वजह से हर बार उनका प्रस्ताव रिजेक्ट हो जाता था। साल 2022 में उन्हें सफलता मिली। स्टार्टअप इंडिया और स्टार्टटप यूपी ने उन्हें रिकॉग्नाइज्ड किया।
यूपी स्टार्टटप पॉलिसी के बारे में बढ़ा रहे जागरुकता
फिर एक कम्पनी बनाई और पैपस्वैप (papswap) नाम से सरकारी नीतियों और योजनाओं के बारे में लोगों के बीच जागरुकता बढ़ाने का काम शुरु कर दिया। करीबन 8 महीने पहले यूपी सरकार के साथ "पॉलिसी एंगेजमेंट पार्टनर" के रुप में एक एमओयू भी साइन किया है। मौजूदा समय में यूपी स्टार्टअप पॉलिसी के बारे में जागरुकता बढ़ाने और नये इंटरप्रेन्योर को प्रशिक्षित करने का काम कर रहे हैं।
सिविक टेक पब्लिक पॉलिसी स्टार्टअप से करते हैं ये काम
दिव्यांशु बताते हैं हम लोग सिविक टेक पब्लिक पॉलिसी स्टार्टटप पर काम कर रहे हैं। इसके जरिए हम जमीनी स्तर पर संघर्ष कर रहे स्टार्टअप को इंटरप्रेन्योरशिप स्किल डेवलेप करने और बिजनेस आइडिया बेहतर बनाने में उनकी मदद करते हैं। नये इंटरप्रेन्योर को उनके कारोबार से जुड़े लोगों से मिलाते भी हैं ताकि वह अपने बिजनेस को आगे बढ़ा पाएं। स्टार्टअप यूपी ने उन्हें इनक्यूबेटर (स्टार्टअप स्कूल) और नये इंटरप्रेन्योर को मजबूत बनाने के लिए अधिकृत किया है।
व्यापारियों को स्टार्टअप से जोड़ने की भी कोशिश
उनकी कोशिश है कि जिलावार पुराने व्यापारियों और उनके बच्चों को स्टार्टअप से जोड़ा जाए। इसके लिए हर महीने दो प्रोग्राम भी करते हैं। हालिया उन्होंने मेघालय और हैदराबाद से एक कोलैबोरेशन भी किया है। ताकि यूपी के इंटरप्रेन्योर को मदद मिल सके। इसी सिलसिले में ताइवान एंबेसी की एक टीम यूपी भी लेकर आए थे।
इंटरप्रेन्योरशिप के लिए कोई डिग्री नहीं होती, ट्रेनिंग से भी डेवलेप
दिव्यांशु का कहना है कि इंटरप्रेन्योरशिप के लिए कोई डिग्री नहीं होती है। कुछ लोग महसूस कर लेते हैं कि उन्हें अच्छा बिजनेस करने आता है। कुछ लोगों के अंदर ट्रेनिंग के दौरान यह गुण विकसित होता है। नये इंटरप्रेन्योर के साथ ट्रेनिंग के दौरान हमने यह पैटर्न देखा। यदि किसी को ट्रेनिंग करा दी जाए तो इंटरप्रेन्योर का गुण विकसित हो जाता है।
सिटीजन और सरकार के बीच दूरी कम करने की कोशिश
दिव्यांशु शुक्ला कहते हैं कि हम लोग टेक्नोलॉजी और पब्लिक पॉलिसी को यूज करके सिटीजन और सरकार के बीच की दूरी को कम से कम करने की कोशिश कर रहे हैं। इस तरह का यह पहला प्रोजेक्ट है। यूपी सरकार की स्टार्टटअप पॉलिसी को ग्राउंड लेबल पर प्रमोट कर रहे हैं। उसमें नई-नई पॉलिसी भी ऐड कर रहे हैं। अभी उनकी कम्पनी में 15 लोग काम कर रहे हैं। दिव्यांशु कहते हैं कि दिल्ली, एनसीआर और काफी माल्स की ओपेनिंग टीम के साथ काम किया। वहीं से पब्लिक पॉलिसी में काम करने का आइडिया आया। पर कारपोरेट के अंदर अधिकतम आप 3 से 5 हजार लोगों के लिए काम कर सकते हैं, जबकि आज मुझे 9 लाख से ज्यादा बच्चों को इंटरप्रेन्योरशिप के अंदर टर्न करना है। सरकार के साथ काम करने में आपके पास एक मोटिव रहता है कि आपको ज्यादा से ज्यादा समुदाय के लोगों को फायदा पहुंचाना है।
सितम्बर 2022 में यूपी सरकार के साथ एमओयू
दिव्यांशु कहते हैं कि पहले हम लोग अनफार्मली काम कर रहे थे। सरकार के एडवाइजर को सुझाव देते रहे। उन्हें अच्छा लगा तो सितम्बर 2022 में एमओयू साइन हुआ। इन्वेस्टर समिट से हमारी शुरुआत हुई थी। उस दौरान नये लोगों के बीच यूपी में आने की उत्सुकता जगी। उन्हें एक सॉल्यूशन देना और उनकी उत्सुकता को रिजल्ट में बदलने का काम किया। शुरुआती 2 से 3 महीने इन्वेस्टर समिट के लिए काम किया। इस दौरान हम लोग लखनऊ तक ही सीमित थे। अब पूरे यूपी में काम कर रहे हैं। उसके पहले हमने यूपी में काफी ट्रैवेल किया, लोगों से मिलें, उनकी प्रॉब्लम और स्टार्टअप से जुड़ी अपेक्षाओं के बारे में जाना। उस समय बड़ी दिक्क्त यह थी कि काफी स्टार्टअप दिल्ली-एनसीआर में रजिस्टर्ड हो रहे थे।
8 महीने में यूपी में 2 हजार नये स्टार्टअप
दिव्यांशु बताते हैं कि जब हमने ज्वाइन किया था। उस समय यूपी में 8 हजार स्टार्टअप थे। पिछले 8 महीनों में 10 हजार स्टार्टअप हो चुके हैं। ऐसा नहीं कि यह सारा हमारे ही प्रयास से हुआ है। पर हम भी इस उपलब्धि का हिस्सा हैं। साल 2024 तक यूपी में 14 हजार स्टार्टअप शुरु करने का लक्ष्य है। इस मामले में यूपी देश में चौथे पायदान पर है। 2024 तक दूसरे स्थान पर लाना है। यूपी में 60 स्टार्टअप स्कूल (इनक्यूबेटर) हैं। उनकी संख्या 150 तक पहुंचानी है। हमारे स्टार्टअप स्कूल और स्टार्टअप मदद के लिए हमे सीधे इंगेज करते हैं। अपनी समस्या बताते हैं, हम उसके सॉल्यूशन के लिए जो कर सकते हैं, करते हैं।
पॉलिसी के क्रियान्यवन पर ज्यादा ध्यान
दिव्यांशु का कहना है कि किसी की नीतियों का विरोध करना पर बहुत आसान है, पर उसका स्ट्रगल समझना बहुत मुश्किल होता है। यह भी एक वजह है कि हमने सोचा कि एक पालिसी बेस्ड स्टार्टअप शुरु किया जाए, जिससे हम लोगों को पॉलिसी का महत्व समझा पाएं, उन्हें ज्ञान न दें, क्योंकि बहुत सारे यूट्यूब चैनल और स्टार्टअप, पॉलिसी के बारे में विस्तृत तरीके से बताते हैं। मुख्य तौर पर हम पॉलिसी की व्याख्या (एक्सप्लेन) करने के बजाए उसके क्रियान्यवन (इम्प्लीमेंटेशन) यानी लागू करने पर ज्यादा ध्यान देते हैं।
कैसे करते हैं काम?
दिव्यांशु बताते हैं कि अभी हमारा एक मॉडल है। हम संबंधित विभाग के साथ एक नॉन फाइनेंसियल एमओयू साइन करते हैं। फिर उन्हीं की पॉलिसी से जुड़े प्रपोजल लगातार भेजते रहते हैं। हम उन्हीं पाइंट्स पर प्रपोजल भी भेजते हैं, जिन पर काम नहीं किया जा रहा है और दूसरी तरफ स्टेक होल्डर्स या एक्सपर्ट की भी अरेंजमेंट कर लेते हैं। मंजूरी मिलने के बाद उस पर काम शुरु करते हैं।
वाराणसी को बनाएंगे पॉलिसी कैपिटल ऑफ इंडिया
स्ट्रगल के सवाल पर दिव्यांशु कहते हैं कि प्रदेश में काफी टैलेंट है। सिर्फ इनिशिएटिव लेना था। लोगों को इस तरफ जागरूक करना था कि एक स्टार्टअप के रूप में आप भी पब्लिक पॉलिसी का हिस्सा हो। सरकार के निर्णय आपके साथ मिलकर जनता को इफेक्ट करते हैं। आप अपने स्टार्टअप को रिस्पान्सबल तरीके से लेना शुरु करें। वह बताते हैं कि वाराणसी को हर कोई कल्चरल कैपिटल के लिए प्रमोट करता है। हम लोगों ने उसे पॉलिसी कैपिटल ऑफ इंडिया के लिए चुना है, क्योंकि ये सबसे पुरानी बसावटों में से एक है। वाराणसी के लिए 'सनातन और प्रशासन' सिद्धांत पर एक रिसर्च और रिपोर्ट बना रहे हैं।