CA की नौकरी छोड़ी, अब व्यवसाय करके कमा रहे हैं लाखों

By Kavish Aziz  |  First Published Oct 4, 2023, 6:05 PM IST

लॉक डाउन में तमाम लोगों की नौकरी गयी लेकिन छोटे छोटे बिज़नेस भी खूब आबाद हुए।  इन्ही में एक बिज़नेसमैन हैं हेरंब दीक्षित जो लखनऊ में सीए की नौकरी कर रहे थे. जब नौकरी गयी तो अपने गांव लौट कर दूध का बिज़नेस शुरू किया जिससे वो सालाना लाखों की कमाई कर रहे हैं। 

रायबरेली।  कोविड  के दौरान अगर हजारों लोगों की नौकरी गई है तो बहुत सारे लोगों का बिजनेस भी आबाद हुआ है। लॉकडाउन में अपना घर चलाने के लिए लोगों ने छोटे-छोटे बिजनेस शुरू किया और आज वह लोग इस्टैबलिश्ड बिजनेसमैन बन गए हैं। इन्हीं में एक शख्स है रायबरेली के हेरंब दीक्षित जो लखनऊ में नौकरी कर रहे थे।  लॉकडाउन में अपने गांव वापस आ गए और कारोबार शुरू किया। जानते हैं हेरंब के बारे में डिटेल में।

चार्टर्ड अकाउंटेंट की नौकरी छूटी  तो बन गए दुग्ध व्यापारी

रायबरेली जनपद के शिवगढ़ क्षेत्र के तरौंजा गांव के रहने वाले हेरंब दीक्षित लखनऊ की एक प्राइवेट कंपनी में बतौर चार्टर्ड अकाउंटेंट काम कर रहे थे। कोविड के समय जब लॉकडाउन हुआ तो सभी दफ्तर बंद हो गए। हेरंब भी  अपने गांव वापस आ गए। बेरोजगारी के दौर में हेरंब ने दूध का व्यवसाय करने की सोच लिया। हेरंब ने तय कर लिया था कि अब वह नौकरी नहीं करेंगे और अपने गांव में रहकर घर पर रहकर दूध का व्यवसाय शुरू करेंगे । हेरंब ने जैसा सोचा था वैसा किया आज वह सालाना लाखों रुपए की कमाई कर रहे हैं। 

प्रधानमंत्री से प्रेरित होकर किया बिजनेस

खुद का व्यवसाय शुरू करने के बारे में  हेरंब दीक्षित कहते है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वरोजगार योजना से उन्हें प्रेरणा  मिली। आज वह अपने बिजनेस के मालिक है उनकी जवाब देही सिर्फ उनसे है।  ना उन्हें नौकरी छोड़ने का डर है, ना निकाले जाने का डर है ना नौकरी ढूंढने का डर है । हेरंब का मानना है कमाई भले कम हो लेकिन संतुष्टि रहनी चाहिए जो उन्हें अपने व्यवसाय से मिलती है।

दिन भर में होता है 100 लीटर दूध का उत्पादन

हेरंब के पास सात भैंस और दस गाय हैं । हर रोज इन गाय भैंसों से 100 लीटर से अधिक दूध का उत्पादन होता है । गाय भैंस के गोबर से खाद बनाई जाती है और अच्छे दामों में बेचकर उससे भी मुनाफा कमाया जाता है । इस व्यवसाय से हेरंब सीए की नौकरी से दोगुना कमा रहे हैं ।हेरंब अपनी गाय भैंसों का बहुत ख्याल रखते हैं उनके खाने पीने से लेकर बीमारी तक में उनका इलाज करने को लेकर हेरंब बहुत संवेदनशील रहते हैं। उनका मानना है कि उनके घर की रोजी-रोटी इन्हीं गायों से चल रही है इसलिए यह जानवर उनके लिए भगवान है और उनकी सेवा करना उनका फर्ज है।

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