अमेरिका में पढ़ाई। बड़ी कम्पनी में नौकरी पर दिल में भारत और एग्रीकल्चर सेक्टर से लगाव ऐसा था कि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर देश वापस आएं। आम, गुलाब और अंगूर की खेती शुरू कर दी। अब भारत के वाइन किंग के नाम से जाने जाते हैं।
नई दिल्ली। अमेरिका में पढ़ाई। बड़ी कम्पनी में नौकरी पर दिल में भारत और एग्रीकल्चर सेक्टर से लगाव ऐसा था कि अच्छी खासी नौकरी छोड़कर देश वापस आएं। आम, गुलाब और अंगूर की खेती शुरू कर दी। अब भारत के वाइन किंग के नाम से जाने जाते हैं। हम बात कर रहे हैं राजीव सामंत की। आइए जानते हैं उनकी सक्सेस स्टोरी।
1999 में नासिक में वाइनरी, अब 4,309 करोड़ की कम्पनी
राजीव सामंत ने देश की प्रमुख वाइन कंपनी 'सुला वाइनयार्ड्स' की शुरुआत की थी, जो अब 4,309 करोड़ रुपये की कम्पनी में तब्दील हो चुकी है। साल 1999 में नासिक में पहली वाइनरी लगाई। आज देश के सबसे बड़े वाइन उत्पादकों में गिने जाते हैं। वही कम्पनी के एमडी और सीईओ हैं।
अमेरिका से ग्रेजुएशन
मुंबई में जन्मे राजीव सामंत की शुरूआती पढ़ाई यहीं से हुई। हॉयर एजूकेशन के लिए अमेरिका का रूख किया। वहां की स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से इकोनॉमिक्स में ग्रेजुएशन किया और इंजीनियरिंग मैनेजमेंट में मास्टर डिग्री ली। पढ़ाई के बाद राजीव यूएस में 'Oracle Corp' जैसी नामी गिरामी कम्पनी में जॉब करने लगे।
परिवार की 20 एकड़ जमीन पर खेती
अच्छी नौकरी और लाइफ स्टाइल के बाद भी देश की याद उन्हें सता रही थी। देश के एग्रीकल्चर सेक्टर के लिए कुछ करने की तमन्ना थी। इसी मकसद से साल 1993 में जॉब छोड़ा और भारत लौटे। नासिक में परिवार की 20 एकड़ जमीन पर आम, गुलाब और अंगूर की खेती शुरू कर दी। नासिक की जलवायु वाइन अंगूर उगाने के लिए अच्छी निकली।
कैलिफोर्निया में सीखी वाइनमेकिंग
वाइन बनाने की जानकारी के लिए राजीव सामंत कैलिफोर्निया गए और वहां के मशहूर वाइनमेकर से मिले। वाइन मेकिंग शुरू करने के प्रॉसेस समझा और काफी मशक्कत के बाद 'सुला वाइनयार्ड्स' की नींव रखी। अब वह एक सफल बिजनेसमैन हैं और साथ ही इनवायरमेंट को लेकर भी काफी अवेयर रहते हैं।