स्ट्राबेरी बेचकर बाराबंकी के सत्येंद्र वर्मा को 1st टाइम मिले 5 हजार रु., अब एक झटके में कमाते हैं 20 लाख

By Rajkumar Upadhyaya  |  First Published Jul 1, 2023, 3:55 PM IST

यूपी के बाराबंकी जिले के बरबसौली गांव के प्रगतिशील किसान सत्येंद्र वर्मा अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। एक बिस्वा जमीन में 14 साल पहले स्ट्राबेरी की खेती शुरू करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह 5 एकड़ में खेती करते हैं। हालांकि 14 साल पहले बाराबंकी जिले से सटे लखनऊ में भी स्ट्राबेरी बेचने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी।

बाराबंकी। यूपी के बाराबंकी जिले के बरबसौली गांव के प्रगतिशील किसान सत्येंद्र वर्मा अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। एक बिस्वा जमीन में 14 साल पहले स्ट्राबेरी की खेती शुरु करने के बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। अब वह 5 एकड़ में खेती करते हैं। हालांकि 14 साल पहले बाराबंकी जिले से सटे लखनऊ में भी स्ट्राबेरी बेचने के लिए उन्हें काफी मशक्कत करनी पड़ी। सत्येंद्र का कहना है कि शुरु में उन्होंने व्यापारियों को इसके फायदे के बारे में बताया और अपनी उपज बेची। पर, अब तस्वीर बदल चुकी है। स्ट्राबेरी की डिमांड है। 

हिमाचल प्रदेश से लाए थे पौधा

सत्येंद्र को निजी कम्पनियों की जॉब रास नहीं आती थी। वह टूर वगैरह ज्यादा करते थे। उसी दौरान हिमाचल प्रदेश में पहली बार स्ट्राबेरी के बारे में जाना, उसके पौधे लेकर आएं और अपने गांव पर ट्रायल शुरु कर दिया। सत्येंद्र कहते हैं कि उस समय पता भी नहीं था कि स्ट्राबेरी क्या है? हिमाचल प्रदेश में पौधा देने वाले किसानों ने कहा कि कहीं भी लगा दो उपज होगी। गांव की एक बिस्वा जमीन पर पौधे लगाएं। स्ट्राबेरी की उपज से इतनी कमाई हुई कि लागत निकल गई, जबकि उस समय लखनऊ में स्ट्राबेरी का मार्केट नहीं था। दो किलो स्ट्राबेरी भी लेने वाला कोई नहीं था। व्यापारियों से मिले और इसके बारे में बताया। धीरे धीरे लोगों ने लेना शुरु किया। जब उपज का 10 फीसदी बेचकर हमारे 5 हजार निकल गए, तो मुझे लगा कि यह फसल फायदेमंद है। 

एक एकड़ में 7 लाख रुपये आती है लागत

सत्येंद्र ने पिछले साल 5 एकड़ में स्ट्राबेरी की खेती की थी। वह बताते हैं कि एक एकड़ में कम से कम 7 लाख रुपये लागत आती है। ढाई लाख रुपये से ज्यादा का प्लांट लग जाता है। फिर मैटेरियल और लेबर कास्ट का खर्च आता है, जो साथ साथ होता है। वह कहते हैं कि यह फसल जो भी लगाएगा, उसका घाटा नहीं होगा, अच्छा बेनिफिट होगा। आज तक मेरा घाटा नहीं हुआ। उन्होंने एक एकड़ में 20 से 21 लाख तक की स्ट्राबेरी बेची है। हर फसल पर एक एकड़ में 5 लाख से उपर ही बचाते हैं। 

बारिश पर निर्भर करती है स्ट्राबेरी की खेती

स्ट्राबेरी की क्राप बारिश के ऊपर निर्भर करती है। कुछ वर्षों से बारिश लेट हो रही है। वैसे इस क्राप की रोपाई का काम 15 सितम्बर से 5 अक्टूबर के बीच किया जाता है। स्ट्राबेरी की उपज का कोई रिकॉर्ड नहीं है। एक प्लांट से करीबन 700 से 800 ग्राम स्ट्राबेरी मिलती है। सत्येंद्र वर्मा ने जब यह स्ट्राबेरी की खेती शुरु की थी, तब उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं थी। उस समय इंटरनेट इतना सुलभ नहीं था कि उसके जरिए ही जानकारी की जा सके। उन्होंने लोगों तक जा जाकर इसके बारे में जानकारी इकट्ठा की और अपनी कमियों को दूर किया।

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