Raksha ‌Bandhan की अजीब परंपरा: यहां बहनें अपने भाई को देती हैं मरने का श्राप

Manish Meharele |  
Published : Aug 25, 2023, 10:03 AM ISTUpdated : Aug 29, 2023, 02:28 PM IST
Raksha ‌Bandhan की अजीब परंपरा: यहां बहनें अपने भाई को देती हैं मरने का श्राप

सार

Raksha Bandhan 2023: हमारे देश में कई अजीब परंपराएं निभाई जाती हैं। इनमें से कुछ तो ऐसी हैं, जिनके बारे में सुनकर किसी को यकीन नहीं होगा। भाई-बहन से जुड़ी ऐसी ही एक परंपरा छत्तीसगढ़ के जशपुर में मनाई जाती है।  

उज्जैन. हमारे देश में भाई-बहन से संबंधित कई पर्व मनाए जाते हैं जैसे रक्षाबंधन (Raksha Bandhan 2023), भाई दूज आदि। इन सभी त्योहारों में बहनें अपने भाई की सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। लेकिन छत्तीसगढ़ के जशपुर इलाके में इसका एकदम उलट होता है। यहां भाईदूज के मौके पर बहनें अपने भाई को मरने का श्राप देती हैं। रक्षाबंधन के मौके पर जानिए भाई-बहन की इस अनोखी परंपरा के बारे में… 

क्या है ये अजीब परंपरा?
छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के जशपुर (Jashpur) जिले में एक विशेष जाति के लोगों द्वारा भाई दूज पर ये अजीब परंपरा निभाई जाती है। इसके अनुसार, भाई दूज के दिन सुबह उठते से ही बहनें अपने भाइयों को खूब खरी-खोटी सुनाती हैं, सिर्फ इतना ही नहीं बहनें अपने भाई को मरने का श्राप भी देती हैं। 

बहनें करती हैं प्रायश्चित
भाई का मरने का श्राप देकर बहनें इस पाप का प्रायश्चित करने के लिए अपनी जीभ पर कांटा चुभाती हैं। ये भी इस परंपरा का एक हिस्सा है। मान्यता है कि ऐसा करने से भाई की उम्र बढ़ती है और उसके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है साथ ही बहनों को भी पाप से मुक्ति मिल जाती है।

परंपरागत रूप से मनाते हैं भाई दूज
भाई को मरने का श्राप देने और जीभ पर कांटा चुभाने के बाद बहनें परंपरागत रूप से भाई दूज का पर्व मनाती हैं और भाई को अपने घर भोजन के लिए आमंत्रित करती हैं। तिलक लगाकर उसकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

ये हैं इस परंपरा के पीछे की मान्यता
मान्यता है कि एक बार जब यमराज किसी ऐसे व्यक्ति के प्राण लेने धरती पर आए, जिसे उसकी बहन ने कभी भला-बुरा न कहा हो। काफी खोज करने के बाद यमराज को ऐसा एक व्यक्ति मिल गया। यमराज उस व्यक्ति के प्राण हरने वाले हैं ये बात उसकी बहन को पता चल गई। ऐसा होने पर उसने बिना कारण ही अपने भाई को खूब भला-बुरा और मरने का श्राप भी दे दिया। इस वजह से यमराज उस व्यक्ति के प्राण नहीं ले जा सके। तभी से ये अनोखी परंपरा चली आ रही है।

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Disclaimer : इस आर्टिकल में जो भी जानकारी दी गई है, वो ज्योतिषियों, पंचांग, धर्म ग्रंथों और मान्यताओं पर आधारित हैं। इन जानकारियों को आप तक पहुंचाने का हम सिर्फ एक माध्यम हैं। यूजर्स से निवेदन है कि वो इन जानकारियों को सिर्फ सूचना ही मानें।

 

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