भाजपा लोकसभा चुनाव की सफलता को पश्चिम बंगाल में दोहराना चाहता है। हालांकि भाजपा को उम्मीद है कि चुनाव में उसे विरोधी मतों का फायदा मिलेगा। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटें मिली थी। जो ममता सरकार के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि पिछले दस साल में ममता पश्चिम बंगाल में एकछत्र राज कर रही थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार से ममता बनर्जी उबर नहीं पाई। हालांकि राज्य में हुए उपचुनाव में ममता की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने तीन सीटें जीतकर भाजपा को झटका दिया है।
नई दिल्ली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह चुनाव प्रबंधन के मामले में नए-नए प्रयोग करने के लिए जाने जाते हैं। लिहाजा अगले साल पश्चिम बंगाल में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए उन्होंने अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है। लिहाजा अमित शाह ममता दीदी का मात देने क लिए अब बांग्ला भाषा सीख रहे हैं। इसके लिए अमित शाह बकायता एक टीचर भी रखा है, जो उन्हें बांग्ला भाषा के गुर सिखा रहा है।
भाजपा लोकसभा चुनाव की सफलता को पश्चिम बंगाल में दोहराना चाहता है। हालांकि भाजपा को उम्मीद है कि चुनाव में उसे विरोधी मतों का फायदा मिलेगा। लोकसभा चुनाव में भाजपा को 18 सीटें मिली थी। जो ममता सरकार के लिए एक बड़ा झटका था, क्योंकि पिछले दस साल में ममता पश्चिम बंगाल में एकछत्र राज कर रही थी। लेकिन लोकसभा चुनाव में मिली हार से ममता बनर्जी उबर नहीं पाई। हालांकि राज्य में हुए उपचुनाव में ममता की अगुवाई वाली तृणमूल कांग्रेस ने तीन सीटें जीतकर भाजपा को झटका दिया है।
लोकसभा चुनाव के परिणाम के बाद से ही ममता बनर्जी राज्य में आक्रामक होकर नीतियों को बना रही हैं और प्रचार रही है। लेकिन भाजपा भी इस मामले में पीछे नहीं है और वह राज्य में छोटे छोटे मुद्दों को उठाकर राज्य सरकार को घेर रही है। अब भाजपा ने ममता सरकार को मात देने के लिए तैयारियां शुरू कर दी हैं। कुछ दिनों पहले ही राज्य की सीएम ममता बनर्जी ने अमित शाह को बाहरी कहा था और कहा था वह राज्य की भाषा तक नहीं जानते हैं। चुनाव प्रचार के दौरान अमित शाह स्थानीय लोगों से बांग्ला भाषा में ही संवाद करना चाहते हैं। लिहाजा अब अमित शाह बांग्ला भाषा सीख रहे हैं।
भाजपा ने पश्चिम बंगाल के लिए मिशन 250 का लक्ष्य रखा है। इसी के तहत भाजपा ने की तरह की रणनीति तैयार की है।
जेल में सीखी हिंदी
अमित शाह को प्रयोगवादी अध्यक्ष माना जाता है और उन्होंने जेल में ही रहकर हिंदी सीखी। जब केन्द्र की कांग्रेस सरकार ने अमित शाह के गुजरात में प्रवेश प्रतिबंध लगाया था तो उस वक्त उन्होंने हिंदी को सीखा और भाषा में इतनी पकड़ बनाई कि कोई भी नहीं कह सकता है कि वह हिंदी नहीं जानते है जबकि वह गुजराती भाषी हैं।