Dec 17, 2018, 9:33 PM IST
31 अक्टूबर, 1984 को प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके अंगरक्षकों द्वारा गोली मारकर की गई हत्या के बाद दिल्ली में सिखों का कत्ल-ए-आम शुरु हो गया। दो नवंबर दिल्ली छावनी के राजनगर में दंगाइयों ने केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की बर्बर हत्या कर दी। इस मामले में 21 साल बाद 2005 में सीबीआई ने दर्ज की एफआईआर दर्ज की। इसके लिए पीड़ितों की शिकायत और नानावटी आयोग की सिफारिशों को आधार बनाया गया। दंगों के 26 साल बाद 13 जनवरी 2010 को आरोपपत्र दाखिल हुआ लेकिन 30 अप्रैल 2013 को कांग्रेस नेता सज्जन कुमार निचली अदालत से बरी हो गए। हालांकि 17 दिसंबर, 2018 को दिल्ली हाईकोर्ट ने आपराधिक साजिश, दंगा भड़काने में सभी 6 को दोषी माना और सज्जन कुमार, कैप्टन भागमल, गिरधारी लाल, बलवान खोकर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। वहीं किशन खोकर और महेंद्र यादव को 10 साल की सजा दी गई।