1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद भड़के सिख विरोधी दंगों से जुड़े एक मामले में आजीवन कारावास की सजा पाए पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने सरेंडर कर दिया है। दिल्ली हाईकोर्ट ने सज्जन कुमार को इस मामले में 17 दिसंबर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार ने 1984 के सिख विरोधी दंगे के जिस मामले में ताउम्र की सजा काटने के लिए सोमवार को एक स्थानीय अदालत में आत्मसर्पण किया। एक नजर इस मामले से जुड़े घटनाक्रम पर।
31 अक्टूबर, 1984 : तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की उनके निवास पर उनके दो अंगरक्षकों ने गोली मारकर हत्या कर दी।
1-2 नवंबर, 1984 : शहर में दंगे भड़के। भीड़ ने दिल्ली छावनी के राजनगर में पांच सिखों की हत्या की।
मई, 2000: दंगे से जुड़े मामलों की जांच के लिए जी टी नानावटी आयोग गठित किया गया।
दिसंबर, 2002 : सत्र अदालत ने एक मामले में पूर्व कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को बरी किया।
24 अक्टूबर, 2005: सीबीआई ने जी टी नानावटी आयोग की सिफारिश पर एक अन्य मामला दर्ज किया।
01 फरवरी, 2010: निचली अदालत ने आरोपी के तौर पर नामजद किए गए कुमार, बलवान खोखर, महेंद्र यादव, कैप्टन भागमल, गिरिधर लाल, कृष्ण खोखर, दिवंगत महासिंह और संतोष रानी के खिलाफ समन जारी किया।
24 मई 2010: निचली अदालत ने छह आरोपियों के खिलाफ हत्या, डकैती, संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की शरारत, दो समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाने, आपराधिक साजिश एवं भादसं की अन्य धाराओं के तहत आरोप तय किए।
30 अप्रैल, 2013 : अदालत ने कुमार को बरी कर दिया जबकि बलवान खोखर, लाल, भागमल को हत्या के जर्म में एवं यादव, कृष्ण खोखर को दंगा फैलाने के अपराध में दोषी ठहराया।
09 मई, 2013 : अदालत ने खोखर, भागमल और लाल को उम्रकैद तथा यादव एवं कृष्ण खोखर को तीन साल की कैद की सजा सुनाई।
19 जुलाई, 2013 : सीबीआई ने कुमार को बरी किए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील दायर की।
22 जुलाई, 2013 : हाईकोर्ट ने सीबीआई की अपील पर कुमार को नोटिस जारी किया।
29 अक्टूबर, 2018 : हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रखा।
17 दिसंबर 2018: उच्च न्यायालय ने कुमार को दोषी ठहराया और ताउम्र कैद की सजा सुनायी। उसने खोखर, भागमल और लाल को सुनाई गई उम्रकैद की सजा को भी सही ठहराया तथा यादव एवं कृष्ण खोखर की कैद की सजा बढ़ाकर दस साल कर दी।
20 दिसंबर 2018: कुमार ने हाईकोर्ट का रूख कर आत्म समर्पण के लिए 30 जनवरी 2019 तक का वक्त मांगा।
21 दिसंबर 2018: हाईकोर्ट ने कुमार की अर्जी खारिज की।
22 दिसंबर 2018: कुमार ने खुद को दोषी करार दिए जाने और उम्र कैद की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की।
31 दिसंबर 2018: कुमार ने दिल्ली की अदालत में आत्म समर्पण किया।