राम मंदिर पर मध्यस्थता के लिए 3 चेहरे: दो महीने तक रहेंगे कैमरों के बीच पर मीडिया से दूर

By Anshuman Anand  |  First Published Mar 8, 2019, 7:17 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मध्यस्थता के लिए तीन लोगों को चुना है। इनके नाम हैं जस्टिस फाकिर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला, आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीराम पांचू। इन तीनों सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के तहत दो महीने में मध्यस्थता का काम निपटाना है। आइए जानते हैं इन तीनों शख्सियतों को, जिनकी कार्यवाही अगले दो महीने तक अब कैमरे में कैद की जाएगी।   

सुप्रीम कोर्ट ने मीडिया को यह स्पष्ट आदेश दिया है कि वह मध्यस्थता की पूरी कार्यवाही की रिपोर्टिंग से दूर रहेगा। हालांकि जस्टिस कलीमुल्ला, श्री श्री रविशंकर और श्रीराम पांचू लगातार कैमरों की निगाहों में रहेंगे। उनके कार्य की वीडियो रिकॉर्डिंग होगी। लेकिन मीडिया इसकी रिपोर्टिंग नहीं कर पाएगा। 

आइए जानते हैं उन तीन लोगों को जिनकी मध्यस्थता पर टिका है राम मंदिर का फैसला-

जस्टिस एफ. एम. कलीफुल्ला

रिटायर्ड जज कलीफुल्ला मध्यस्थता के लिए गठित पैनल की अध्यक्षता करेंगे। इनका पूरा नाम फाकिर मोहम्मद इब्राहिम कलीफुल्ला है। वह तमिलनाडु के रहने वाले है। न्यायिक व्यवस्था में उन्होंने वकील के तौर पर शुरुआत की। फिर हाई कोर्ट के जज, हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और सुप्रीम कोर्ट के जज के पद तक पहुंचे।

 

उन्होंने 20 अगस्त 1975 से वकालत शुरु की। जस्टिस कलीफुल्ला 2000 में मद्रास हाई कोर्ट में परमानेंट जज नियुक्त हुए। फरवरी 2011 में वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के जज बने और दो हफ्ते बाद ही ऐक्टिंग चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। सितंबर 2012 में वह जम्मू-कश्मीर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नियुक्त हुए। 

उसके बाद, 2 अप्रैल 2012 को वह सुप्रीम कोर्ट के जज बने। वह ढाई साल पहले 22 जुलाई 2016 को रिटायर हुए।


आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर 

जाने-माने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक है। वह इससे पहले भी व्यक्तिगत स्तर पर अयोध्या मामले को सुलझाने की पहल कर चुके हैं लेकिन कामयाबी नहीं मिली। वह अयोध्या मामले के सभी पक्षकारों से मिल चुके हैं।

 श्रीश्री रविशंकर कश्मीर में शांति के लिए भी व्यक्तिगत तौर पर पहल कर चुके हैं। उनके देश-विदेश में करोड़ों अनुयायी हैं। उन्होंने 1981 में आर्ट ऑफ लिविंग की स्थापना की थी।

 श्रीश्री  सामाजिक और सांप्रदायिक सौहार्द से जुड़े कार्यक्रमों के लिए भी जाने जाते हैं। वह पद्मविभूषण से सम्मानित हैं। 


श्रीराम पांचू 

सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या मसले पर गठित मध्यस्थता समिति में श्रीराम पांचू एक बेहद अहम नाम है। उन्हें मध्यस्थता के मामले में पेशेवर दक्षता प्राप्त है। 

40 सालों से वकालत कर रहे वरिष्ठ वकील पांचू पिछले 20 सालों से सक्रिय मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे हैं। वह मेडिएशन चैंबर्स के संस्थापक हैं, जो मध्यस्थता की सेवाएं देता है। 

इसके अलावा वो भारतीय मध्यस्थों के संघ के अध्यक्ष और अंतर्राष्ट्रीय मध्यस्थता संस्थान (IMI) के बोर्ड में डायरेक्टर हैं। उन्होंने 2005 में भारत का पहला कोर्ट-एनेक्स मध्यस्थता सेंटर बनाया था। उन्होंने मध्यस्थता को भारत की कानूनी प्रणाली का हिस्सा बनाने में बेहद अहम भूमिका निभाई है। 

श्री पांचू कंस्ट्रक्शन और प्रॉपर्टी डेवलपमेंट, प्रॉपर्टी विवाद, फैमिली बिजनेस इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी विवाद का हल निकालने में माहिर समझे जाते हैं । 

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