पेमेंट वॉलेट और बैंकों के पास आधार डाटा हटाने के अनुरोध की बाढ़ आई

By ankur sharma  |  First Published Sep 26, 2018, 7:52 PM IST

कुछ ग्राहकों ने सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिये भी बैंकों और दूसरी कंपनियों को उनके डाटा को हटाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कंपनियां उनके आधार डाटा को नहीं हटाती हैं तो इसे 'चुराई गई जानकारी' माना जाएगा। 

कुछ ग्राहकों ने सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिये भी बैंकों और दूसरी कंपनियों को उनके डाटा को हटाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कंपनियां उनके आधार डाटा को नहीं हटाती हैं तो इसे 'चुराई गई जानकारी' माना जाएगा। 

आधार पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले और इस एक्ट की धारा 57 को रद्द करने के बाद से ही डिजिटल वॉलेट  कंपनियों, बैंकों, फोन ऑपरेटरों के पास आधार नंबर के इस्तेमाल को लेकर दी गई सहमति को वापस लेने के अनुरोधों की बाढ़ आ गई है।  ग्राहक इन कंपनियों से उनके सिस्टम से आधार डाटा हटाने को कह रहे हैं। 

कुछ ग्राहकों ने सोशल नेटवर्किंग साइटों के जरिये भी बैंकों और दूसरी कंपनियों को उनके डाटा को हटाने की मांग की है। साथ ही चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर कंपनियां उनके आधार डाटा को नहीं हटाती हैं तो इसे 'चुराई गई जानकारी' माना जाएगा। 

Hey I withdrew my concent on linking with my Bank Account after so de link it and remove my Aadhar Data from your system.

— Abhishek Dhakre🏳️‍🌈🇮🇳 (@DhakreAbhishek)

I want to delete my data and unlink my aadhar from . What is the process?

— Abhijeet Manjul (@abhijeetmanjul)

Dear Mobile Phone Operators and Banks'
U harassed us and forced us to link Aadhaar to yr system.

After S'Court judgement, plz delete the data collected and intimate me through SMS on the phone no. registered with u. Otherwise u will be considered in possession of stolen property

— Dinesh Asthana (@kasthana55)

कई डिजिटल वॉलेट कंपनियों ने कई ऐसे ग्राहकों को उनके पैसों का इस्तेमाल करने से रोक दिया था जिन्होंने अपने आधार का  ब्यौरा नहीं दिया है। अब, ये ग्राहक इन कंपनियों से कह रहे हैं कि उन्हें अपने पैसे का इस्तेमाल करने दिया जाए। इनका कहना है कि अब वे किसी ग्राहक को आधार कार्ड देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। 

सुप्रीम कोर्ट ने आधार कानून के सेक्शन 57 को रद्द कर दिया है। सेक्शन 57 के तहत किसी शख्स की पहचान को सत्यापित करने के लिए निजी कंपनियों को आधार की जानकारी को इस्तेमाल करने की इजाजत थी।

निजी कंपनियों के अलावा, स्कूल भी अभिभावकों को अपना आधार कार्ड देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। एनईईटी, सीबीएसई द्वारा कराई जाने वाली परीक्षाओं के लिए भी अब आधार अनिवार्य नहीं है। 

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