भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान यानी इसरो ने चांद के रहस्यों को उजागर करने के लिए चंद्रयान 2 भेज दिया है। लेकिन इसरो के वैज्ञानिकों को इतने से ही संतोष नहीं है। अब जल्दी ही वह सूरज की खबर लाने के लिए आदित्य-एल-1 मिशन लांच करने की तैयारी में जुटे हुए हैं। भारत सूरज की खबर लाने के लिए उसके पास सैटेलाइट भेजने की योजना पर काम कर रहा है। जिससे उसकी बाहरी परत तेजोमंडल के बारे में जानकारी इकट्ठा की जाएगी। यह सूरज का सबसे गर्म हिस्सा होता है जो कि पृथ्वी पर जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार होता है।
नई दिल्ली. अंतरिक्ष अनुसंधान केन्द्र इसरो चंद्र अभियान के बाद सूर्य मिशन भेजने की तैयारी में है। उम्मीद की जा रही है कि अगले साल की शुरुआत में सौर मिशन की शुरुआत कर दी जाएगी। सूरज से संबंधित जानकारियां इकट्ठी करने के लिए शुरु किए गए इस अभियान का नाम आदित्य-एल-1 रखा गया है।
यह भारत का पहला सौर मिशन होगा। इसके जरिए वैज्ञानिकों को सूरज की बाहरी सतह कोरोना का अध्ययन करने में मदद मिलेगी। इस अभियान का उद्देश्य यह पता लगाना है कि सूर्य के सतह का तापमान, जो कि 6000 कैलविन है उससे सूर्य की बाहरी परत कोरोना का तापमान 300 गुना ज्यादा क्यों है। जबकि कोरोना सूर्य की सतह से काफी उपर होता है। सूर्य की इस बाहरी परत को तेजोमंडल कहते हैं जो कि हजारों किलोमीटर दूर तक फैली होती है।
इसरो ने आदित्य-एल-1 से संबंधित जानकारियां अपनी वेबसाइट पर शेयर की हैं। इसरो ने सौर मिशन के बारे में बताते हुए यह प्रश्न छोड़ा है कि ‘सूरज का बाहरी परिमंडल(कोरोना) कैसे इतना गर्म हो जाता है, सौर भौतिकी में इसका उत्तर अब तक नहीं मिला है।’
इसरो के द्वारा दी गई जानकारियों के मुताबिक आदित्य-एल1 को पृथ्वी से 15 लाख किलोमीटर दूर लंग्राज बिंदु 1 (Lagrangian Point 1) यानी एल 1 के पास के हॉलो ऑर्बिट में भेजा जाएगा। इस स्थान से भारतीय सैटेलाइट आदित्य एल-1 सूर्य को बिना किसी रूकावट के करीब से देख पाएगा। आदित्य-L1 को श्रीहरिकोटा से PSLV-XL रॉकेट के जरिए लॉन्च किए जाने की योजना है।
इसरो प्रमुख के. सिवान ने जानकारी दी है कि आदित्य एल-1 सोलर मिशन के जरिए सूर्य के तापमान और जलवायु परिवर्तन के बारे में जानकारी मिलेगी। उन्होंने बताया है कि आदित्य-एल1 पृथ्वी से 1.5 मिलियन किमी की दूरी पर स्थित होगा। वहां से यह हमेशा सूर्य की ओर देखेगा। सूर्य की इस बाहरी परत ‘तेजोमंडल’ का विश्लेषण देगा। जिसका क्लाइमेट चेंज पर खासा असर दिखाई देता है।
आदित्य-एल1, सूर्य के फोटोस्फेयर, क्रोमोस्फेयर और तेजोमंडल का अध्ययन कर सकता है। यह सूर्य से निकलने वाले विस्फोटक कणों का अध्ययन भी करेगा।