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मोदी से बैठक के बाद उद्धव के सीएए को लेकर बदले तेवर, कांग्रेस और एनसीपी को दिया बड़ा झटका

Published : Feb 22, 2020, 11:38 AM ISTUpdated : Feb 22, 2020, 11:42 AM IST
मोदी से बैठक के बाद उद्धव के सीएए को लेकर बदले तेवर, कांग्रेस और एनसीपी को दिया बड़ा झटका

सार

असल में कांग्रेस और एनसीपी सीएम उद्धव ठाकरे को सीएए और एनपीआर के कार्यान्वयन के खिलाफ मनाने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि अब ठाकरे ने फैसला किया है कि राज्य में सीएए और एनपीआर लागू किया जाएगा।  

नई दिल्ली। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात के राज्य की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है और इससे अपने सहयोगी कांग्रेस और एनसीपी को बड़ा झटका दिया है। उद्धव ठाकरे के नए फैसले के बाद राज्य की राजनीति में बदला के संकेत देखे जा रहे हैं। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद ठाकरे ने साफ किया है कि राज्य में सीएए और एनपीआर लागू किया जाएगा। जो कांग्रेस और एनसीपी के लिए बड़ा झटका है।

असल में कांग्रेस और एनसीपी सीएम उद्धव ठाकरे को सीएए और एनपीआर के कार्यान्वयन के खिलाफ मनाने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि अब ठाकरे ने फैसला किया है कि राज्य में सीएए और एनपीआर लागू किया जाएगा। ठाकरे शुक्रवार को महाराष्ट्र के मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात हुई। इस दौरान उनकी सीएए, एनपीआर और एनआरसी पर भी चर्चा हुई। पीएम मोदी से मुलाकात के बाद ठाकरे के तेवरों में बदलाव आया और उन्होंने कहा कि सीएए से किसी को डरने की जरूरत नहीं है और एनपीआर किसी को भी देश से बाहर करने नहीं जा रहा है।

उनके इस बयान को कांग्रेस और एनसीपी के लिए एक झटका माना जा रहा है कि क्योंकि दोनों दल ठाकरे पर इन दोनों को राज्य में लागू नहीं करने के लिए दबाव बना रहे हैं और विधानसभा से प्रस्ताव पारित करने को कह रहे हैं। उधर ठाकरे के नए बयान के बाद कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रेणुका चौधरी ने कहा था, 'कांग्रेस ने सीएए के खिलाफ मतदान किया है। वहीं दूसरी ओर, एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार ने कहा कि ये उद्धव ठाकरे का दृष्टिकोण है और यह उनका अधिकार है। जहां तक ​​एनसीपी का सवाल है, हमने संसद में भी इस अधिनियम के खिलाफ मतदान किया था।

गौरतलब है कि पिछले साल भारतीय संसद के दोनों सदनों सीएए पारित हो चुका है और इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मित तौर पर प्रताड़ित अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रावधान है। अभी तक तीन कांग्रेस शासित राज्य और पश्चिम बंगाल और केरल में इस कानून को लागू नहीं करने के लिए प्रस्ताव पारित हो चुके हैं।
 

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