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गठबंधन के रिपोर्ट कार्ड में अभी तक अखिलेश हुए हैं फेल, फिर करेंगे चुनावी गठजोड़

Published : Aug 25, 2019, 11:27 AM IST
गठबंधन के रिपोर्ट कार्ड में अभी तक अखिलेश हुए हैं फेल, फिर करेंगे चुनावी गठजोड़

सार

अगर देखें अखिलेश यादव का अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल पूरी तरह से फ्लाप साबित हुआ है। उनके पास गिनाने के लिए उपलब्धियां कम हैं जबकि विफलताएं ज्यादा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ चुनाव गठजोड़ किया और पार्टी 225 विधायकों से घटकर 47 में पहुंच गई जबकि कांग्रेस को महज 9 सीटें मिली। जबकि भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले सुभासपा को 4 सीटें मिली हैं।

लखनऊ। समाजवादी पार्टी लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार और उसके बाद बहुजन समाज पार्टी द्वारा गठबंधन तोड़े जाने से सकते में है। अब सपा की असल परीक्षा उपचुनाव हैं। लिहाजा सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव इसके लिए चुनावी गठजोड़ करने की योजना बना रहे हैं। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की सुभासपा अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर से मुलाकात हो चुकी है।

लेकिन अगर अभी तक अखिलेश यादव का गठबंधन की राजनीति का रिपोर्ट कार्ड देखें तो वो इसमें सौ फीसदी फेल साबित हुए हैं। लिहाजा एक बार फिर गठबंधन की राजनीति में अखिलेश यादव सफल हो पाएंगे, यही सत्ता के गरियारों में बड़ी चर्चा चल रही है है।

सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी यानी सुभासपा के अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर की सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मुलाकात हुई। इस मुलाकात को नए गठबंधन की तैयारी के तौर पर देखा जा रहा है। राज्य में लोकसभा चुनाव में इन दोनों दलों को करारी हार मिली है। जबकि सपा से बसपा ने भी अपना गठबंधन तोड़ दिया। हालांकि अभी तक रालोद सपा के साथ है। लेकिन सच्चाई ये भी है कि रालोद पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अपनी जमीन खो चुका है। 

अगर देखें अखिलेश यादव का अध्यक्ष के तौर पर कार्यकाल पूरी तरह से फ्लाप साबित हुआ है। उनके पास गिनाने के लिए उपलब्धियां कम हैं जबकि विफलताएं ज्यादा है। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने कांग्रेस के साथ चुनाव गठजोड़ किया और पार्टी 225 विधायकों से घटकर 47 में पहुंच गई जबकि कांग्रेस को महज 9 सीटें मिली।

जबकि भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ने वाले सुभासपा को 4 सीटें मिली हैं। अखिलेश यादव ने मुलायम के न चाहते हुए भी बसपा के साथ किया। चुनाव परिणाम के बाद सपा को सबसे बड़ा झटका लगा और वह महज पांच सीटें ही जीत सकी और बसपा सिफर से दस सीटों पर पहुंच गई। कुछ समय बाद से ही बसपा ने सपा के साथ अपना चुनाव गठबंधन तोड़ दिया। हालांकि पहले मायावती ने कहा था कि अखिलेश में अनुभव की कमी है।

अखिलेश यादव के दो साल के कार्यकाल में दो चुनावी गठजोड़ टूट चुके हैं और अब वह तीसरा गठजोड़ करने जा रहे हैं। फिलहाल राज्य की 13 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए सपा और सुभासपा में चुनावी गठजोड़ होने की अटकलें हैं। लेकिन ये कितना सफल हो पाता है ये देखना बाकी है। सपा को लगता है कि अगर दोनों दल मिल जाए तो ओबीसी के एक बड़े वर्ग को अपनी तरफ आकर्षित कर सकते हैं। जबकि आज हालत बदल चुके हैं। भाजपा का वोट प्रतिशत प्रदेश में लगातार बढ़ता ही जा रहा है।

ऐसे में उपचुनाव में ये गठबंधन कितना सफल होगा वह तो चुनावी नतीजों के बाद से ही पता चलेगा। फिलहाल सुभासपा जलालपुर, बलहा सहित तीन सीटों पर अपना दावा कर रही है। जबकि सपा दस सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है। वहीं रालोद भी इसके लिए दावा कर रही है। रालोद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की दो सीटों पर अपना दावा जता रही है।

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